छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 5 सितंबर 2024 को एक ऐसा कदम उठाया जो नागरिकों की जिंदगी बदल सकता है। रायपुर में मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के लिए ऑनलाइन आरटीआई वेब पोर्टल का शुभारंभ किया — और इसके साथ ही 300 न्यायिक कर्मियों को प्रमोशन दिया। ये दोनों कदम एक ही समय पर आए, जैसे कि न्यायपालिका ने सिर्फ नियम बनाए नहीं, बल्कि उन्हें जीवन में उतारने की ठान ली है।
ऑनलाइन आरटीआई: नागरिकों के लिए एक नया दरवाजा
अब कोई भी नागरिक, चाहे वह रायपुर का हो या लंदन में रह रहा हो, बस एक क्लिक से अपना आरटीआई आवेदन दर्ज कर सकता है। पोर्टल का नाम है — Online RTI Information System। यहाँ आवेदन भरना, शुल्क भुगतान करना, प्रतिलिपि का अनुरोध करना, और अपने आवेदन की स्थिति रियल-टाइम में ट्रैक करना — सब कुछ डिजिटल हो गया है। कोई भी फाइल लेने के लिए अदालत घूमने की जरूरत नहीं। ये सिर्फ सुविधा नहीं, बल्कि अधिकार का एक नया अर्थ है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने सत्र में कहा, “यह पोर्टल सिर्फ एक वेबसाइट नहीं, बल्कि पारदर्शिता का एक जीवंत प्रतीक है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य नागरिकों को सूचना के अधिकार के बारे में सशक्त बनाना है — न कि बस आवेदन की प्रक्रिया आसान बनाना।
300 प्रमोशन: सिर्फ इनाम नहीं, जिम्मेदारी का बोझ
इस शुभारंभ के साथ ही 300 न्यायिक कर्मियों को प्रमोशन दिया गया। ये लोग न्यायालयों के अंदर आरटीआई के लिए तैयार किए गए अधिकारी हैं — जो अब इस पोर्टल के ऑपरेशन, जवाब देने और शिकायतों के निपटान में जिम्मेदार होंगे। ये प्रमोशन कोई उपहार नहीं, बल्कि एक नए जिम्मेदारी के लिए चुनौती है।
क्या ये लोग तैयार हैं? अभी तक कोई आंकड़ा नहीं है। लेकिन एक बात स्पष्ट है — अब नागरिक जब अपना आवेदन देगा, तो उसे जवाब देने वाला व्यक्ति भी जानेगा कि उसका काम डिजिटल रूप से ट्रैक हो रहा है। ये डर का तत्व है। और डर ही अक्सर सुधार का शुभारंभ होता है।
राष्ट्रीय लहर: एक राज्य की शुरुआत, देश की चाल
छत्तीसगढ़ का ये कदम किसी अज्ञात नहीं है। 2023 में सर्वोच्च न्यायालय ने सभी उच्च न्यायालयों को आरटीआई पोर्टल लॉन्च करने का आदेश दिया था — और अब ये आदेश लागू हो रहे हैं।
गुवाहाटी उच्च न्यायालय की कोहिमा पीठ ने पहले ही एक एंड-टू-एंड पेपरलेस पोर्टल लॉन्च किया है। मद्रास उच्च न्यायालय ने 25 जुलाई 2025 को अपना पोर्टल चालू किया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यूपीआई, नेट बैंकिंग और कार्ड भुगतान की सुविधा जोड़ दी है।
राष्ट्रीय स्तर पर, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय का राष्ट्रीय आरटीआई पोर्टल भी चल रहा है। यहाँ एक इंटरैक्टिव मानचित्र है — जिससे आप देख सकते हैं कि किस राज्य में कितने आवेदन दायर हुए, कितने जवाब दिए गए। छत्तीसगढ़ अब इस नेटवर्क का एक और मजबूत नोड बन गया है।
क्या असली बदलाव आएगा?
यहाँ कुछ अज्ञात हैं। क्या न्यायिक कर्मी अब रियल-टाइम में जवाब देने लगेंगे? क्या वे बस ऑनलाइन आवेदन रिजेक्ट करने के लिए तैयार हैं? क्या नागरिकों को अब भी जाने के लिए कहा जाएगा — “कागजी फाइल लाएं”? ये सवाल अभी खुले हैं।
लेकिन एक बात बदल चुकी है: अब नागरिक के पास एक डिजिटल साक्ष्य है — जिसके बिना कोई भी जवाब नहीं दे सकता। अगर आपका आवेदन 30 दिन में जवाब नहीं दिया गया, तो वह ऑनलाइन रिकॉर्ड बन जाएगा। और वह रिकॉर्ड किसी को छुपाने नहीं देगा।
अगला कदम: जिला अदालतों तक पहुँच
अभी तक यह पोर्टल केवल उच्च न्यायालय और जिला अदालतों तक सीमित है। लेकिन अगला लक्ष्य स्पष्ट है — गाँव के अधिकारी, पंचायतों, और यहाँ तक कि शहर के नगर निगमों तक इस पोर्टल को फैलाना। अगर यह हो गया, तो आरटीआई कभी न्यायालय की चीज नहीं रहेगी। यह एक नागरिक का अधिकार बन जाएगा — जैसे बिजली या पानी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आरटीआई आवेदन कैसे दायर किया जाता है?
किसी भी व्यक्ति को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के ऑनलाइन आरटीआई पोर्टल पर जाकर अपना आवेदन भरना होगा। आवेदन फॉर्म में विस्तार से बताना होगा कि आप किस विभाग से कौन-सी सूचना चाहते हैं। शुल्क ₹10 है, जो नेट बैंकिंग, यूपीआई या कार्ड के माध्यम से ऑनलाइन भुगतान किया जा सकता है।
क्या आरटीआई आवेदन का जवाब दे पाने में अदालत विफल हो सकती है?
हाँ, लेकिन अब उसका रिकॉर्ड ऑनलाइन बन जाता है। अगर 30 दिन में जवाब नहीं मिलता, तो आवेदक पहली अपील कर सकता है। अगर फिर भी जवाब नहीं मिलता, तो आरटीआई आयोग को शिकायत दर्ज करने का अधिकार है। डिजिटल ट्रैकिंग के कारण अब अधिकारी छुपाने की कोशिश करने में डरेंगे।
इस पोर्टल के बाद क्या बदलेगा नागरिकों की जिंदगी?
अब नागरिक किसी भी न्यायिक अधिकारी से बिना भेंट के सूचना माँग सकता है। उसे अब फाइलों के लिए अदालत घूमने की जरूरत नहीं। यह एक ऐसा बदलाव है जो लोगों को अधिकारों के प्रति सक्रिय बनाता है — न कि बस एक शिकायतकर्ता बनाता है।
क्या यह पोर्टल ग्रामीण इलाकों में भी काम करेगा?
अभी तक यह पोर्टल शहरी और जिला स्तर तक सीमित है। ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट और डिजिटल साक्षरता की कमी है। लेकिन अगले चरण में न्यायालय ग्रामीण आरटीआई केंद्रों के साथ साझेदारी करने की योजना बना रहा है — जहाँ स्थानीय कर्मचारी ऑनलाइन आवेदन भरने में मदद करेंगे।
क्या आरटीआई पोर्टल न्यायिक देरी को कम करेगा?
सीधे तौर पर नहीं, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से हाँ। जब नागरिक आसानी से सूचना पा लेता है, तो उसे अदालत में जाने की जरूरत कम हो जाती है। इससे अदालतों के भार कम होते हैं। और जब अधिकारी जानते हैं कि उनकी गतिविधियाँ ट्रैक हो रही हैं, तो वे जल्दी जवाब देने की ओर बढ़ते हैं।
क्या इस पोर्टल के बाद न्यायालयों में भ्रष्टाचार कम होगा?
भ्रष्टाचार तब तक कम होगा जब तक जवाब देने की जिम्मेदारी और उसकी जांच दोनों डिजिटल हों। अब हर आवेदन, हर जवाब, हर देरी का डिजिटल रिकॉर्ड है। यह एक नया डर है — और यही डर भ्रष्टाचार को रोक सकता है।
Sita De savona
नवंबर 5, 2025 AT 05:54अब तो बस एक क्लिक से सूचना मिलेगी... पर अभी तक किसी ने बताया नहीं कि जवाब आएगा या नहीं। डिजिटल दरवाजा तो खुल गया, पर अंदर कौन है वो तो अभी भी अंधेरा है।
sumit dhamija
नवंबर 6, 2025 AT 11:34इस तरह के पोर्टल्स का असली परीक्षण तब होगा जब किसी ग्रामीण नागरिक को उसका आवेदन भरने में मदद मिलेगी। बस ऑनलाइन होना काफी नहीं, पहुंच भी जरूरी है।
Aditya Ingale
नवंबर 6, 2025 AT 14:00ये पोर्टल बस एक नया बॉक्स नहीं है जिसमें आवेदन डालो और भूल जाओ। ये तो एक नए युग की शुरुआत है। अब जो लोग सूचना छुपाते थे, उनके लिए डर का नया नाम बन गया है - डिजिटल ट्रैकिंग। जिंदगी बदल रही है, बस देखो कैसे।
Aarya Editz
नवंबर 6, 2025 AT 15:21स्वतंत्रता का असली अर्थ तभी होता है जब एक आम इंसान को अपने अधिकार के बारे में पता हो और उसे लेने की सुविधा भी मिले। ये पोर्टल उसी स्वतंत्रता का एक छोटा सा दरवाजा है। अब बाकी सिर्फ इरादे पर निर्भर करेगा।
Prathamesh Potnis
नवंबर 8, 2025 AT 00:21यह एक महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन इसकी सफलता का मापदंड यह होगा कि क्या गाँव के बुजुर्ग भी इसका उपयोग कर पाते हैं। डिजिटल दरवाजा तो खुल गया, अब उसके आगे का सीढ़ी भी बनानी होगी।
shubham jain
नवंबर 9, 2025 AT 00:3630 दिन की अवधि आरटीआई अधिनियम में लिखी है। डिजिटल पोर्टल इसे बदलता नहीं है। बस ट्रैकिंग को आसान बनाता है।
shivam sharma
नवंबर 9, 2025 AT 04:42अब तक किसी ने नहीं बताया कि ये पोर्टल किसके लिए है? शहर के युवाओं के लिए? गाँव वालों के लिए नहीं। ये सब नाटक है जिसमें बजट खर्च होता है और कुछ नहीं बदलता।
Dinesh Kumar
नवंबर 9, 2025 AT 07:26ये पोर्टल बस एक बड़ा जाल है! जिस तरह से अधिकारी फाइलें खो देते हैं, वैसे ही अब वो डिजिटल फाइलें भी खो देंगे! और फिर कहेंगे - तकनीक ठीक नहीं है! ये सब नाटक है, बस नाटक!
Sanjay Gandhi
नवंबर 9, 2025 AT 21:18क्या ये पोर्टल असल में ग्रामीणों के लिए है? या बस एक तस्वीर बनाने के लिए? मैंने एक दोस्त को देखा - उसने 6 महीने तक आवेदन भरा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। अब डिजिटल हो गया, तो जवाब भी डिजिटल हो जाएगा? ये सवाल अभी भी खुला है।
fatima mohsen
नवंबर 10, 2025 AT 12:19अब तो बस आरटीआई के लिए बैंक अकाउंट चाहिए, इंटरनेट, फोन, और दिमाग। गरीबों के लिए ये सब बहुत महंगा हो गया है। ये पोर्टल नागरिकों को सशक्त नहीं, बल्कि बेअसर बना रहा है।
Ali Zeeshan Javed
नवंबर 10, 2025 AT 18:29मैंने एक गाँव में एक बुजुर्ग को देखा - उसने अपना आवेदन अधिकारी के पास दिया, और उसने उसे ऑनलाइन भर दिया। ये ही असली बदलाव है - जब तक इंसान इंसान की मदद करेगा, तकनीक का असर सिर्फ एक नाम बना रहेगा।
Žééshañ Khan
नवंबर 11, 2025 AT 15:52सरकारी पोर्टल का उद्देश्य जनता को सशक्त बनाना है। लेकिन यदि जवाब नहीं दिया जाता, तो यह पोर्टल एक अतिरिक्त बोझ बन जाता है। अधिकारियों की जिम्मेदारी बढ़नी चाहिए, न कि नागरिकों की।
ritesh srivastav
नवंबर 12, 2025 AT 08:04ये सब बकवास है। जब तक अदालतें खुद के अंदर के भ्रष्टाचार को नहीं सुधारेंगी, तब तक ये पोर्टल बस एक बड़ा बाजार होगा। लोगों को खुश करने के लिए बनाया गया एक नया बाजार।
Rahul Kumar
नवंबर 13, 2025 AT 08:47मैंने आज अपना आवेदन भरा। बस 5 मिनट में। अब बस ये देखना है कि क्या कोई जवाब देगा। अगर देगा, तो ये असली बदलाव है। अगर नहीं, तो बस एक और बड़ा बकवास।
Shreya Prasad
नवंबर 14, 2025 AT 22:37यह पोर्टल एक बहुत बड़ा उपलब्धि है। लेकिन इसकी सफलता का मापदंड यह होगा कि क्या नागरिकों को जवाब मिल रहा है। यदि जवाब नहीं मिल रहा है, तो यह केवल एक अतिरिक्त दरवाजा है।
GITA Grupo de Investigação do Treinamento Psicofísico do Atuante
नवंबर 16, 2025 AT 13:23मैंने अभी तक एक भी आवेदन नहीं भरा। लेकिन यह बात बहुत अच्छी लगी कि अब डिजिटल रिकॉर्ड है। अगर कोई जवाब नहीं देता, तो उसका नाम भी रिकॉर्ड में आ जाएगा। ये तो बहुत बड़ी बात है।
Nithya ramani
नवंबर 17, 2025 AT 12:44अब जब आवेदन ऑनलाइन है, तो बस इंतजार करना है। अगर जवाब नहीं आया, तो अपील कर देना है। ये बदलाव बहुत बड़ा है। अब नागरिक बस बैठे नहीं रहेंगे।
anil kumar
नवंबर 19, 2025 AT 12:23यह एक बड़ा कदम है, लेकिन असली सवाल यह है - क्या हम अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए तैयार हैं? या फिर हम बस एक नया पोर्टल देखकर खुश हो जाएंगे और फिर भूल जाएंगे? सुविधा तो है, लेकिन जिम्मेदारी कहाँ है?
Srujana Oruganti
नवंबर 20, 2025 AT 22:07बस एक और बड़ा पोर्टल। किसी को फायदा हुआ? नहीं। किसी को नुकसान हुआ? नहीं। बस एक और फोटो खींची गई।
Pranav s
नवंबर 21, 2025 AT 15:10अब तो बस आवेदन भर दो, जवाब आएगा या नहीं - ये तो भाग्य है। इंटरनेट तो है, पर जवाब नहीं। ये डिजिटल जाल है।