दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल की जमानत पर लगाई रोक

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति मामले में जमानत देने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दावे का समर्थन करते हुए यह आदेश दिया, जिसमें ईडी ने कहा था कि निचली अदालत ने साक्ष्यों का सही तरीके से मूल्यांकन नहीं किया और उनके रोक की अर्जी पर बहस करने का पर्याप्त मौका नहीं दिया।

ईडी की याचिका का पक्ष

ईडी की याचिका का पक्ष

ईडी ने अपनी याचिका में यह दावा किया था कि निचली अदालत द्वारा दिया गया जमानत आदेश 'त्रुटिपूर्ण' है और अतिरेक तथ्यों पर आधारित है। विशेष न्यायाधीश नीयाय बिंदू ने 20 जून को अरविंद केजरीवाल को जमानत दी थी, जिसके खिलाफ ईडी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। ईडी का तर्क था कि निचली अदालत के आदेश ने न केवल साक्ष्यों को नजरअंदाज किया, बल्कि ईडी को अपने पक्ष को मजबूती से प्रस्तुत करने का मौका भी नहीं दिया।

केजरीवाल की गिरफ़्तारी और रिहाई

केजरीवाल की गिरफ़्तारी और रिहाई

अरविंद केजरीवाल को प्रारंभिक रूप से 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था। बाद में 10 मई को उन्हें लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए रिहा किया गया था। इसके बाद 2 जून को केजरीवाल को फिर से जेल भेज दिया गया जब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें और राहत देने से इनकार कर दिया। इस फैसले के बाद केजरीवाल ने अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अनावश्यक प्रतिबंध का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और केजरीवाल की याचिका की सुनवाई को 26 जून तक स्थगित कर दिया, ताकि उच्च न्यायालय के अंतिम निर्णय का इंतजार किया जा सके। केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी और विक्रम चौधरी ने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि जमानत आदेश को रोकने के बजाय, यदि आवश्यक हो तो उन्हें कारावास में वापस भेजा जा सकता है, लेकिन उनके पास कोई ठोस और प्रबल कारण होने चाहिए।

आम आदमी पार्टी की प्रतिक्रिया

आम आदमी पार्टी (AAP) ने उच्च न्यायालय के आदेश पर असहमति जताई है और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की योजना बनाई है। एएपी के प्रवक्ताओं ने कहा कि यह आदेश न्याय तथा केजरीवाल की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खिलाफ है। पार्टी ने कहा है कि उन्हें पूरा यकीन है कि सुप्रीम कोर्ट में उन्हें न्याय मिलेगा और वे इस आदेश को रद्द करने की पूरी कोशिश करेंगे।

इस पूरे मामले ने दिल्ली की राजनीति और राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का केन्द्र बना दिया है। साथ ही यह मामला हमारे न्याय प्रणाली की जटिलताओं और विभिन्न स्तरों पर न्याय की प्रक्रिया को भी उजागर करता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे की न्यायिक प्रक्रियाएं किस दिशा में जाती हैं और इसके राजनीतिक परिणाम क्या होंगे।

केजरीवाल की बेल पर रोक लगाने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार है। यह राजनीतिक माहौल को और अधिक गर्म कर सकता है।