लॉर्ड्स: दबाव का असली इम्तिहान, दिग्गज भी चूक गए
लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड का नाम सुनते ही किसी भी बल्लेबाज का दिल जोर से धड़कने लगता है। यहां रन बनाना, खासकर विदेशी खिलाड़ियों के लिए, किसी चुनौती से कम नहीं। बात जब भारत के सबसे बड़े नामों की आती है, तो कई ऐसे दिग्गज हैं, जिन्होंने हर जगह बल्ले से जलवा दिखाया, लेकिन Lord's में टेस्ट शतक उनके खाते में नहीं आया।
पहले जिक्र सुनील गावस्कर का करें, तो भारतीय टेस्ट इतिहास में 10,000 रन का आंकड़ा छू लेने वाला पहला बल्लेबाज लॉर्ड्स में 59 से आगे नहीं जा सका। उन्होंने पांच मुकाबलों में कभी डर के तेज गेंदबाजों का सामना किया, कभी इंग्लैंड के बादल वाले मौसम का। लेकिन शतक का आंकड़ा हमेशा दूर ही रहा।
अब बात होती है 'क्रिकेट के भगवान' सचिन तेंदुलकर की। 51 टेस्ट शतकों के मालिक, लेकिन लॉर्ड्स हमेशा उनके लिए सवाल बना रहा। सबसे ज्यादा 37 रन, वो भी इतने सालों में। फैंस भी हमेशा इसी उम्मीद में बैठे रहे कि अबकी बार सेंचुरी आएगी, लेकिन यह सपना सचिन के करियर के साथ ही अधूरा रह गया।
विराट कोहली जैसी आक्रमकता, जो लंदन के मैदानों पर भी जोश में कमी नहीं आने देती। लेकिन तीन टेस्ट मैच में उनका सर्वोच्च स्कोर 42 ही रहा है। विजेता मानसिकता रखने वाला ये खिलाड़ी भी लॉर्ड्स के दबाव को तोड़ न सका।
वीवीएस लक्ष्मण, जिनके बैट से अक्सर मुश्किल वक्त में कमाल की पारियां निकलीं। लेकिन लॉर्ड्स टेस्ट में उनका सबसे बड़ा स्कोर रहा 74। जिनका टेम्परामेंट बड़े मैचों में चमकता था, उनके लिए भी लॉर्ड्स की कठिनाई कुछ ज्यादा ही रही।
रोहित शर्मा ने जब-जब मौका मिला, बल्ला खूब बोला। लॉर्ड्स में उनका सर्वोच्च 83 रन रहा, लेकिन वो तीन अंकों में कभी नहीं बदल पाया। इक्का-दुक्का मौकों में भी अगर किस्मत नहीं साथ दे, तो इतिहास वहीं रुक जाता है।
तेज शुरुआत के लिए मशहूर वीरेंदर सहवाग के लिए भी लॉर्ड्स में शतक दूर ही रहा, उनका श्रेष्ठ 84 रन रहा। शुरुआती ओवरों से गेंदबाजों पर दबाव बनाना कभी उनका स्टाइल रहा, लेकिन बड़ी पारियों के लिए धैर्य भी चाहिए—शायद यही लॉर्ड्स पर कठिनाई बन गई।
चेतेश्वर पुजारा, जिन्हें 'द वॉल' कहा जाता है, जमे रहने के लिए जाने जाते हैं। लेकिन लॉर्ड्स में पुजारा भी कमाल नहीं दिखा सके, उनका बेस्ट था सिर्फ 45 रन। मैदान की हरियाली, अपरिचित विकेट और बाउंस ने सबसे विश्वसनीय तकनीक वाले खिलाड़ियों को भी परेशान किया।
- मो. अमरनाथ – 69 रन (लॉर्ड्स टेस्ट में सर्वश्रेष्ठ)
- एमएस धोनी – 76* (लेकिन शतक से दूर)

लॉर्ड्स: नाम बड़ा, मैदान से परीक्षा और भी बड़ी
गावस्कर, सचिन, कोहली, लक्ष्मण, रोहित, सहवाग और पुजारा—सभी की कामयाबी में कोई कमी नहीं। फिर भी जब लॉर्ड्स की बात आती है, तो ये मैदान उतना ही कठोर साबित हुआ। हरे-भरे विकेट, बादल और एकदम अलग माहौल। कई बार यह भी बात सामने आई कि कंसिडेशन का दबाव और खास पल में नर्वसनेस बढ़ जाती है। इसी वजह से लॉर्ड्स में शतक लगाना भारतीयों के लिए अब तक बेहद मुश्किल रहा है।
इन बड़ी हस्तियों ने दुनिया के हर कोने में शतक ठोके, लेकिन लॉर्ड्स का शतक उनके करियर की चाहत का हिस्सा बना रहा। बल्लेबाजों के लिए ये मैदान सिर्फ एक और पिच नहीं, बल्कि एक इम्तिहान है, जहां हर बार इतिहास बदलने की उम्मीद जिंदा रहती है।