फेवरेटिज़्म — क्या है और कैसे पता करें?
कभी ऐसा लगा कि कोई व्यक्ति या समूह हमेशा खास ट्रीटमेंट पा रहे हैं? यही फेवरेटिज़्म है —Favours बिना वजह कुछ लोगों को मिलना। यह सिर्फ भावनात्मक बात नहीं, बल्कि नौकरी, खेल और राजनीति में फैसलों को प्रभावित कर सकता है। अगर आप रोजाना काम में या समाज में असमानता देखते हैं, तो इसे नज़रअंदाज़ करना आसान नहीं होता।
फेवरेटिज़्म के स्पष्ट संकेत
पहचान आसान हो सकती है अगर आप कुछ चीज़ों पर ध्यान दें: पदोन्नति या जिम्मेदारी बार-बार एक ही व्यक्ति को मिलना, नियमों में छूट केवल चुनिंदा लोगों के लिए, या आलोचना पर अलग व्यवहार। खेलों में भी कुछ खिलाड़ियों को लगातार खास मौके मिलना या मीडिया में सिर्फ कुछ नामों की तारीफ होना वही असर दिखाता है।
ये संकेत अकेले घटिया माहौल बनाते हैं और टीम की नैतिकता गिराते हैं। जब फैसले पारदर्शी नहीं होते, तो भरोसा टूटता है और काम की गुणवत्ता घटती है।
कहां-कहां दिखता है?
ऑफिस: नौकरी में प्रमोशन, बोनस और काम बाँटने में पक्षपात।
राजनीति: नीतियाँ और संसाधन कुछ इलाकों या लोगों के पक्ष में जाना।
खेल: चयन और खेलने का समय कुछ खिलाड़ियों तक सीमित रहना।
परिवार/समाज: रिश्तों के आधार पर फैसले लेना—यह सब फेवरेटिज़्म के रूप हैं और प्रभाव अलग-अलग होते हैं।
समस्या सिर्फ न्याय नहीं है—यह भविष्य के जोखिम भी बढ़ाता है: प्रतिभा का नुकसान, काम से दूर होना, और कानूनी विवाद।
क्या करें जब फेवरेटिज़्म दिखे?
सबसे पहले शांत रहें और तथ्यों को नोट कर लें। तारीख, समय, किसने कहा/किया—ये सब लिखें। दस्तावेज़ी सबूत आपकी बात को मजबूत करते हैं।
दूसरा कदम है खुलकर बातचीत। सीधे और सम्मानपूर्वक जिम्मेदार व्यक्ति से बात करें—कभी-कभी समस्या गलतफहमी हो सकती है।
अगर बातचीत काम नहीं आती तो आधिकारिक चैनल जैसे HR, प्रबंधन या संबंधित समिति को सूचित करें। अपने साथियों से समर्थन लें—समूह में आवाज़ ज्यादा असर रखती है।
आखिरकार, अगर अधिकारिक रास्ते बंद हों तो कानूनी सलाह लेना एक विकल्प है। कई बार बाहरी रिपोर्टिंग या मीडिया भी बदलाव ला सकती है, पर यह सोच-समझकर करें।
छोटे कदम भी फर्क डालते हैं: कार्य-नीतियाँ पारदर्शी बनाना, निर्णय के मापदंड लिखित रखना और रोटेशन सिस्टम जैसे उपाय लागू करना फेवरेटिज़्म को घटाते हैं।
अगर आप ऐसे मामलों की खबरें पढ़ना चाहते हैं, तो समाचार कोना पर इस टैग के तहत लोगों और संस्थाओं से जुड़े उदाहरण मिलेंगे। खबरें पढ़कर आप समझ पाएँगे कि फेवरेटिज़्म कैसे काम करता है और उससे बचने के व्यावहारिक तरीके क्या हैं।
सवाल है—क्या आप अपने माहौल में समान व्यवहार देख रहे हैं? एक छोटा कदम उठाइए: नोट करें, बात करें और सही चैनल चुनकर कार्रवाई करें। इससे फर्क पड़ना शुरू होगा।