इमरान खान की जेल से कड़ी टिप्पणी और पाकिस्तान क्रिकेट का संकट
पाकिस्तान क्रिकेट टीम इस वक्त ऐसे चौराहे पर खड़ी है जहां से आगे सिर्फ सवाल ही सवाल हैं। चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में टीम की शुरुआती राउंड में हार ने पाकिस्तानवासियों को निराश कर दिया—खासतौर पर तब, जब टूर्नामेंट अपने ही देश में 29 साल बाद लौटकर आया था। भारत और न्यूजीलैंड से हारकर पाकिस्तान की टीम न सिर्फ बाहर हो गई, बल्कि लगातार तीसरे बड़े आईसीसी टूर्नामेंट में ग्रुप स्टेज से ही बाहर हो जाने का कलंक भी जुड़ गया।
यही हालात हैं जिसमें पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और 1992 वर्ल्ड कप जिताने वाले कप्तान इमरान खान ने जेल से चेतावनी दी है। उनकी बहन अलीमा खान मीडिया के सामने आईं और साफ-साफ कहा कि इमरान को देश की क्रिकेट के भविष्य की फिक्र है। उनका कहना है कि अगर पाकिस्तान क्रिकेट की कमान सिर्फ फेवरेट्स और पसंदीदा लोगों के ही हाथ में रही, तो ये खेल बर्बाद हो सकता है। उन्होंने पीसीबी के मौजूदा चेयरमैन मोहसिन नकवी पर भी सीधा निशाना साधा और कहा कि जब नेतृत्व में काबिलियत नहीं होगी और मेरिट को नजरअंदाज किया जाएगा, तो नतीजे ऐसे ही होंगे।
टीम के बुरे प्रदर्शन ने देश भर में गुस्सा बढ़ा दिया है। पाकिस्तानी फैंस सोशल मीडिया पर खुलकर अपनी निराशा और गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। ऐसे में इमरान की बातें लोगों को और सोचने पर मजबूर कर रही हैं। कहा जा रहा है कि जब टीम सिलेक्शन से लेकर कोचिंग स्टाफ तक फेवरेटिज़्म और जान-पहचान हावी रहेगी, तो पाकिस्तान क्रिकेट शायद ही उबर पाएगा।
राजनीतिक दखल और असफल सुधार: वजह क्या है?
सिर्फ इमरान ही नहीं, पीसीबी के पूर्व चेयरमैन नजम सेठी ने भी पाकिस्तान क्रिकेट के पतन के पीछे गहरी वजहें गिनाई हैं। उनका कहना है कि इमरान के ही प्रधानमंत्री रहते हुए क्रिकेट स्ट्रक्चर में जिस 'ऑस्ट्रेलियन हाइब्रिड मॉडल' को अपनाया गया, वह असफल रहा। नजम सेठी का इशारा यह है कि बोर्ड में निरंतर हो रही राजनीतिक दखलंदाजी और बार-बार संरचनात्मक बदलावों से टीम का नुक़सान ही हुआ है। PCB का नेतृत्व लगातार राजनैतिक रस्साकशी और आपसी खींचतान में उलझा रहा, खिलाड़ियों की ट्रेनिंग और जमीनी प्रतिभा पर ध्यान कम हो गया।
2019 वनडे वर्ल्ड कप, फिर टी20 वर्ल्ड कप 2024 और अब घरेलू सरज़मीं पर चैंपियंस ट्रॉफी—तीनों में लगातार फेल होना इस बात की गवाही है कि क्रिकेट बस दुआओं के भरोसे नहीं चलता। अनुभवहीन कप्तानों पर दांव लगाना, बार-बार कोचिंग स्टाफ बदलना और टैलेंटेड खिलाड़ियों की अनदेखी जैसे फैसले पाकिस्तान क्रिकेट को गर्त में धकेल रहे हैं।
अब सवाल उठता है कि क्या पीसीबी वाकई खुद को सुधार पाएगा या फिर विवादों और भ्रष्टाचार में फंसा रह जाएगा? इमरान खान और नजम सेठी जैसे लोग भले जेल या सिस्टम से बाहर हों, लेकिन उनकी चेतावनियां पाकिस्तान क्रिकेट के लिए आज सबसे ज्यादा प्रासंगिक हो गई हैं।
Ashwini Belliganoor
मई 4, 2025 AT 18:44पीसीबी को चयन प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता अपनाना चाहिए
Hari Kiran
मई 4, 2025 AT 20:07सच में दर्शकों की निराशा को समझा जा सकता है क्योंकि लगातार हार ने विश्वास को धुंधला कर दिया है। जब टीम के भीतर फ़ेवरिटिज़्म की बात आती है तो युवा प्रतिभा को अवसर नहीं मिल पाते। उस वजह से विकास वक्र बिगड़ जाता है और प्रदर्शन में गिरावट आती है। हमें एक सामुदायिक दृष्टिकोण अपनाकर सबको समान मंच देना आवश्यक है। उम्मीद है कि भविष्य में बेहतर बदलाव देखेंगे
Hemant R. Joshi
मई 4, 2025 AT 21:31क्रिकेट मात्र एक खेल नहीं, यह राष्ट्रीय आत्मविश्वास और सामाजिक एकता का प्रतिबिंब है। पाकिस्तान में वर्तमान संकट को समझने के लिए पहले हम देखते हैं कि कैसे चयन मंडल में राजनीतिक हस्तक्षेप ने प्रणाली को भ्रष्ट कर दिया है। जब चयनकर्ता केवल परिचितों को प्राथमिकता देते हैं तो वास्तविक योग्यता पर सवाल उठता है। इससे न केवल मैदान पर कमजोर खिलाड़ी आते हैं बल्कि टीम की समग्र रणनीति भी विकृत हो जाती है। एरिक्सन के मॉडल से सीखना चाहिए जहाँ चयन प्रक्रिया में आँकड़ों और प्रदर्शन पर आधारित मेट्रिक्स लागू होते हैं। इसी प्रकार, कोचिंग स्टाफ की लगातार बदलाव ने खिलाड़ियों को स्थिरता नहीं दी, जिससे उनके तकनीकी विकास में बाधा आई। प्रशिक्षण सुविधाओं में निवेश की कमी ने युवा टैलेंट को अवसर से वंचित कर दिया। इसके अलावा, प्रशासकीय स्तर पर पारदर्शिता की कमी ने फैन बेस के भरोसे को तोड़ दिया। जब प्रशंसक यह महसूस करते हैं कि खेल में राजनीति का बोलबाला है तो वे दिल से जुड़ नहीं पाते। इस परिस्थिति में इमरान खान की चेतावनी केवल एक व्यक्तिगत अड़चन नहीं बल्कि संस्थागत सुधार की आवश्यकता की ओर संकेत है। उनका तर्क यह है कि यदि चयन में मेरिट को नजरअंदाज किया गया तो दीर्घकालिक परिणाम अभूतपूर्व हो सकते हैं। हमें इस बात को स्वीकार करना होगा कि एक सख्त वैरिटी इनclusion नीति और merit‑based selection ही समाधान हो सकते हैं। एक स्पष्ट और दस्तावेज़ित चयन मानदंड स्थापित करके सभी हितधारकों को भरोसा दिलाया जा सकता है। इसके अलावा, विदेशी विशेषज्ञों की मदद लेकर आधुनिक विश्लेषणात्मक तकनीकों को अपनाया जाना चाहिए। अंततः, यदि हम लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को पुनः स्थापित कर सकें तो पाकिस्तान क्रिकेट फिर से विश्व मंच पर सम्मान प्राप्त कर सकेगा। यह केवल प्रशासन की नहीं, बल्कि सभी शख्सियतों की सामूहिक जिम्मेदारी है
guneet kaur
मई 4, 2025 AT 22:54पीसीबी के मौजूदा नेतृत्व ने स्पष्ट रूप से दिखा दिया है कि वे केवल अपने दोस्तों को ही अवसर दे रहे हैं और वास्तविक प्रतिभा को दरकिनार कर रहे हैं। यह लापरवाही न केवल खिलाड़ियों बल्कि पूरे खेल को विनाश की ओर ले जा रही है। चैंपियंस ट्रॉफी में निराशाजनक प्रदर्शन सिर्फ एक संकेत है कि सिस्टम ही टूटा हुआ है। अब समय आ गया है कि जिम्मेदार लोग बाहर आएँ और सच्ची सुधारात्मक कदम उठाएँ
PRITAM DEB
मई 5, 2025 AT 00:17समावेशी दृष्टिकोण और निरंतर प्रशिक्षण से टीम को नई ऊर्जा मिल सकती है
Saurabh Sharma
मई 5, 2025 AT 01:41स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स और एग्जीक्यूटिव गवर्नेंस फ्रेमवर्क को इंटीग्रेट करना आवश्यक है ताकि सिलेक्शन मैट्रिक्स में बायस कम हो सके और परफ़ॉर्मेंस एनालिटिक्स को प्रायोरिटाईज़ किया जा सके
Suresh Dahal
मई 5, 2025 AT 03:04पीसीबी के पुनर्गठन के लिए प्रस्तावित रणनीतिक योजना के कार्यान्वयन से दीर्घकालिक सफलता की संभावना बढ़ेगी और राष्ट्रीय धुन में सकारात्मक बदलाव आएगा
Krina Jain
मई 5, 2025 AT 04:27फेवरेटिज्म को खतम करो टीम को नया जज्बा दो
Raj Kumar
मई 5, 2025 AT 05:51जैसे अंधेरे में जलती हुई एक रोशनी, पाकिस्तान क्रिकेट का भविष्य भी अब हीरन की तरह चमक सकता है अगर हम फेवरिटिज़्म के दानों को जलाकर, सच्ची प्रतिभा को मंच पर बुला लें
venugopal panicker
मई 5, 2025 AT 07:14आपकी तीव्र निराशा समझ में आती है, फिर भी यह भी याद रखना ज़रूरी है कि स्थिर सुधार के लिए सभी स्टेकहोल्डर मिलकर एक स्पष्ट चयन मापदंड स्थापित करें