13 जनवरी 2025 की सुबह, जगरांव के लाजपत राय रोड पर एक व्यक्ति का शव पोस्ट ऑफिस के बाहर पड़ा मिला। उसके पैरों में चप्पल नहीं थी, सिर्फ एक पैंट पहने हुए, और रात भर खुले में सोया हुआ। ठंड ने उसकी सांसें बंद कर दीं। पुलिस ने बताया कि उसने दिन भर लोहड़ी मांगी थी — शायद आखिरी बार। कोई चोट नहीं, कोई हिंसा नहीं। बस ठंड। और अकेलापन।

एक शव, एक जीवन जिसका कोई नाम नहीं

थाना सिटी के एएसआई बलविंदर सिंह ने बताया कि शव पर कोई जबड़े का निशान नहीं, कोई चाकू का निशान नहीं। बस ठंड के निशान — ठिठुरे हुए हाथ, ठंडे हुए पैर, और आंखों में अंतिम उम्मीद का छायाचित्र। उसकी पहचान अभी तक नहीं हो पाई। पुलिस ने शव को जगरांव सरकारी अस्पताल में 72 घंटे के लिए रखा है। अगर कोई परिजन नहीं आया, तो पुलिस खुद उसका अंतिम संस्कार करेगी। ऐसे ही लोगों के लिए, जिनका नाम किसी कागज़ पर नहीं, बस एक रिपोर्ट में लिखा जाता है — यही आखिरी सम्मान होता है।

ठंड का राज़: पहाड़ों से आ रही हवाएं, और धुंध का खेल

मौसम विभाग का चंडीगढ़ केंद्र के डायरेक्टर सुरिंदर पाल के मुताबिक, ठंड का असली कारण है — पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी। जब बर्फ पिघलती है, तो उससे निकलने वाली ठंडी हवाएं पंजाब के मैदानी हिस्सों में घुस जाती हैं। 14 जनवरी को राज्य के अधिकतम तापमान में 0.2 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम में 1.6 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आई। मोगा में तापमान 3.8 डिग्री सेल्सियस तक गिरा — जिससे शहर के बाहर सोने वाले लोगों के लिए यह जीवन-मरण का सवाल बन गया।

अब आगे के चार दिन घनी धुंध पंजाब के लिए येलो अलर्ट है। धुंध न सिर्फ यातायात रोक देगी, बल्कि ठंड को और भी गहरा कर देगी। रात को हवा रुक जाती है, ठंड जम जाती है, और धुंध उसे बांधे रखती है — जैसे कोई बर्फ का कंबल।

क्या हो रहा है बेघरों के साथ?

पंजाब में लगभग 12,000 बेघर लोग माने जाते हैं। उनमें से ज्यादातर रात को रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप, या दुकानों के बाहर सोते हैं। कुछ के पास एक कंबल होता है, कुछ के पास सिर्फ एक प्लास्टिक का बोरा। लेकिन जब तापमान 4 डिग्री तक गिर जाता है, तो ये सब बेकार हो जाता है।

कल रात, अमृतसर और लुधियाना में न्यूनतम तापमान 5.5 और 6.2 डिग्री सेल्सियस रहा — जो सामान्य से कम है। लेकिन जो लोग बाहर सोते हैं, उनके लिए यह असली ठंड है। उनके शरीर का तापमान धीरे-धीरे गिरता है — पहले हाथ, फिर पैर, फिर दिमाग। और एक दिन, वो सो जाते हैं… और कभी नहीं जागते।

क्या कोई तैयारी है?

सरकार के पास बेघरों के लिए शीतकालीन आश्रय योजनाएं हैं। लेकिन वे अक्सर बहुत दूर होती हैं। कई बार लोग नहीं जानते कि वहां कैसे जाएं। कुछ लोग डरते हैं — अगर वे आश्रय में जाएंगे, तो क्या पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेगी? क्या उनका नाम दर्ज हो जाएगा?

एक स्वयंसेवी संगठन, ‘मन बाजार’, ने इस साल जगरांव में रात के लिए गर्म चाय और आधे घंटे का आश्रय प्रदान किया। लेकिन वे बस तीन जगहों पर हैं। जबकि बेघरों की संख्या 12,000 से ज्यादा है। एक नियम है — जब तापमान 5 डिग्री से नीचे जाए, तो आश्रय खोले जाने चाहिए। लेकिन यह नियम कभी लागू नहीं होता।

अगले क्या होगा?

अगले क्या होगा?

मौसम विभाग के अनुसार, अक्टूबर 2025 के अंत तक ठंड की हल्की दस्तक शुरू हो जाएगी। दिवाली के बाद ठंड तेज होगी। दिसंबर में शीत लहर आ सकती है — जिसके दौरान कई बेघर मर चुके हैं। जनवरी और फरवरी में घनी धुंध आएगी, जिससे तापमान और भी नीचे जाएगा।

इस बार एक बेघर की मौत ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है — क्या हम इस ठंड को सिर्फ मौसम का नतीजा मान लेंगे? या इसे एक सामाजिक असफलता के रूप में स्वीकार करेंगे?

क्या आप जानते हैं?

13 जनवरी को पंजाब का अधिकतम तापमान 31.8 डिग्री सेल्सियस रहा — मोहाली में। लेकिन उसी दिन, एक आदमी बर्फ के नीचे मर गया। एक दिन में, दो दुनियाएं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्यों एक अज्ञात व्यक्ति की मौत इतनी महत्वपूर्ण है?

इस मौत का महत्व इस बात में है कि यह किसी नाम की नहीं, बल्कि एक व्यवस्था की असफलता की निशानी है। हर साल पंजाब में 20-30 बेघर ठंड से मर जाते हैं, लेकिन कोई रिपोर्ट नहीं बनती। इस बार शव के बारे में समाचार आया — यह एक अवसर है कि हम बेघरों के लिए आश्रयों को वास्तविक बनाएं, न कि केवल एक तालिका के रूप में।

क्या सरकार के पास बेघरों के लिए ठंड के लिए योजनाएं हैं?

हां, लेकिन वे अक्सर अनुसूचित नहीं होतीं। जब तापमान 5 डिग्री से नीचे जाता है, तो आश्रय खोले जाने चाहिए — लेकिन यह नियम अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। ज्यादातर आश्रय शहर के केंद्र में होते हैं, जबकि बेघर बाहरी इलाकों में रहते हैं। और अगर कोई आश्रय में जाता है, तो उसका नाम दर्ज हो जाता है — जिससे वे डरते हैं।

धुंध कैसे ठंड को बढ़ाती है?

धुंध वायु को रोक देती है, जिससे ठंडी हवाएं जमीन के पास फंस जाती हैं। यह एक बर्फ का कंबल बन जाता है। रात को तापमान 2-3 डिग्री और गिर जाता है। जब धुंध घनी होती है, तो दिन में भी सूरज की किरणें नहीं पहुंच पातीं — जिससे ठंड बरकरार रहती है।

क्या आम नागरिक इन बेघरों की मदद कर सकता है?

बिल्कुल। एक गर्म चाय, एक कंबल, या बस एक जानकारी देना — जैसे कि निकटतम आश्रय कहां है — जान बचा सकता है। कई स्वयंसेवी संगठन जैसे ‘मन बाजार’ या ‘रात का आश्रय’ ऐसी मदद कर रहे हैं। आप उनके साथ जुड़ सकते हैं। एक छोटी चीज़ भी बड़ा बदलाव ला सकती है।

क्या यह घटना दूसरे राज्यों में भी हो रही है?

हां। उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा में भी इसी तरह की मौतें हो रही हैं। 2024 में उत्तर प्रदेश में 47 बेघर ठंड से मरे। लेकिन पंजाब में यह अभी तक एक नजरअंदाज किया गया मुद्दा रहा है। जब एक शव का चेहरा दिखता है, तो हम देखते हैं। जब नहीं दिखता, तो हम नहीं देखते।

अगली बार ऐसा क्यों नहीं होना चाहिए?

क्योंकि ठंड नहीं मारती — हमारी उपेक्षा मारती है। एक आश्रय, एक गर्म खाना, एक जानकारी — ये बहुत कम हैं। लेकिन इन्हीं चीजों से एक जीवन बच सकता है। अगली बार, जब कोई बेघर आपके दरवाजे पर आए, तो उसे बस एक गर्म चाय दे दीजिए। वो उसके लिए जीवन हो सकती है।