बिहार के रघुनाथपुर में मंगलवार की दोपहर अचानक बारिश शुरू हुई — बूंदें इतनी भारी और लगातार गिरीं कि सड़कें नदियों में बदल गईं। ये सिर्फ एक बूंद नहीं, बल्कि चक्रवात मोंथा के बढ़ते प्रभाव की पहली झलक थी। आज, 30 अक्टूबर 2025, पटना मौसम विज्ञान केंद्र ने चेतावनी जारी की: अगले 24 घंटों में बिहार के 6 जिलों में अति भारी बारिश हो सकती है, और कुछ जगहों पर एक घंटे में 100 मिमी से ज्यादा बारिश होने की संभावना है। ये तूफान, जो आंध्र प्रदेश के तट पर टकराया था, अब उत्तर की ओर धीरे-धीरे बढ़ रहा है — और बिहार इसके सीधे रास्ते में है।

चक्रवात का सफर: तट से अंतर्देश तक

मोंथा ने मंगलवार शाम सात बजे काकीनाडा तट के पास आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम और कलिंगपट्टनम के बीच जमकर टक्कर मारी। तेज हवाओं और 4-5 मीटर ऊंची लहरों ने तटीय गांवों को तबाह कर दिया। बुधवार सुबह तक यह तूफान ओडिशा के तट पर पहुंच गया, जहां सरकार ने रेड अलर्ट जारी किया। लेकिन असली चुनौती अभी शुरू हुई है। चक्रवात अब सामान्य चक्रवाती तूफान में बदल गया है — लेकिन इसकी नमी और ऊर्जा अभी भी बहुत ज्यादा है। इसका केंद्र अब नरसापुर से 20 किमी दूर है, और यह उत्तर-पश्चिम की ओर 10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है।

बिहार में बारिश का नक्शा: कहाँ क्या हो रहा है?

पटना के मौसम विभाग के अनुसार, 29 से 31 अक्टूबर के बीच बिहार के 17 जिलों में भारी से अति भारी बारिश की संभावना है। अभी तक, गोपालगंज, आरा, नालंदा, सुपौल, भागलपुर, लखीसराय और छपरा में लगातार रिमझिम बारिश हो रही है। बुधवार को ये बारिश और भी तेज हो गई — कुछ जगहों पर 24 घंटे में 70-80 मिमी बारिश दर्ज की गई।

30 अक्टूबर को अलर्ट और बढ़ गया है। बांका, जमुई, सुपौला, अररिया, किशनगंज और शेखपुरा में अति भारी बारिश (120 मिमी से अधिक) की संभावना है। गया, औरंगाबाद, रोहतास, कैमूर और पटना में भी भारी बारिश (60-120 मिमी) की उम्मीद है। इन जिलों में बिजली के खंभे झुक गए, कई स्कूल बंद हो गए, और किसानों के खेतों में खरीफ की फसलें डूब रही हैं।

क्या हो रहा है राहत के लिए?

क्या हो रहा है राहत के लिए?

एनडीआरएफ की 45 टीमें ओडिशा और बिहार दोनों में तैनात हैं। बिहार में जिला प्रशासन ने आपातकालीन कमांड सेंटर चलाए हैं। जहां भी बारिश ज्यादा हुई, वहां राहत केंद्र खोले गए हैं — जहां लोगों को भोजन, पानी और दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं। बिहार के कई जिलों में स्कूल और कॉलेज बंद हैं। ट्रेनों के कुछ शेड्यूल बदल दिए गए हैं, खासकर पटना-किशनगंज और भागलपुर-पटना लाइनों पर।

एक राहत की बात ये है कि चक्रवात की हवाएं अब 30-40 किमी/घंटा की रफ्तार से ही चल रही हैं — जो अभी तक के तूफानों की तुलना में कम है। लेकिन यही बात खतरनाक है। धीमी गति का मतलब है — बारिश लंबे समय तक चलेगी। जैसे कि एक बाल्टी का पानी धीरे-धीरे गिर रहा हो। इसलिए बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।

किसानों का संकट: फसल बर्बाद, बचाव नहीं

मोंथा का सबसे बड़ा प्रभाव शायद किसानों पर पड़ रहा है। बिहार के दक्षिणी जिलों में अभी खरीफ की फसलें कटाई के लिए तैयार थीं। लेकिन अचानक बारिश ने सब कुछ बर्बाद कर दिया। गोपालगंज के एक किसान, रामकृष्ण सिंह, बोले: "मैंने 4 महीने तक अपनी धान की फसल की देखभाल की। आज सुबह देखा — पूरा खेत पानी में डूब गया। अब बच्चों का खर्च कैसे चलेगा?"

भारतीय मौसम विभाग ने किसानों को चेतावनी दी है: अगर आपके खेत में पानी जमा हो रहा है, तो जल्दी से नालियां खोलें। बारिश के बाद फसलों में फफूंदी और बीमारियां फैलने का खतरा है। अभी तक कोई आधिकारिक नुकसान का आंकड़ा नहीं आया है, लेकिन किसान संघों का अनुमान है कि बिहार में कम से कम 2.3 लाख हेक्टेयर खेत प्रभावित हुए हैं।

अगले क्या होगा?

अगले क्या होगा?

31 अक्टूबर को बारिश कम होने की उम्मीद है, लेकिन बिजली गिरने का खतरा बना रहेगा। बिहार सरकार ने अगले 48 घंटों के लिए सभी जिलों में आपातकालीन तैयारी का आदेश दिया है। जल निगम ने बाढ़ के लिए नालियों की सफाई की अपील की है। अगर आज रात तक बारिश बंद नहीं हुई, तो बिहार के दक्षिणी भाग में बाढ़ की स्थिति बन सकती है।

एक बात स्पष्ट है — ये चक्रवात सिर्फ एक मौसमी घटना नहीं है। ये बिहार के लिए एक नया खतरा है: जब तक तटीय चक्रवात इतनी देर तक देश के अंदर घुसते रहेंगे, तब तक बिहार जैसे अंतर्देशीय राज्यों को भी तूफानों के लिए तैयार होना होगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

मोंथा चक्रवात ने बिहार में कितने जिलों को प्रभावित किया है?

29 से 31 अक्टूबर 2025 के बीच बिहार के 17 जिलों में भारी से अति भारी बारिश की संभावना है। इनमें 8 जिलों में पहले से ही लगातार बारिश हो रही है, जबकि 6 जिलों में 30 अक्टूबर को अति भारी बारिश (120 मिमी से अधिक) की चेतावनी जारी की गई है।

क्या बिहार में बाढ़ का खतरा है?

हां, खतरा मौजूद है। चक्रवात की धीमी गति के कारण बारिश लंबे समय तक चल रही है, जिससे नदियों और नालों में पानी जमा हो रहा है। भागलपुर, नालंदा और गोपालगंज जैसे जिलों में पहले से ही जलभराव की स्थिति है। अगर आज रात तक बारिश बंद नहीं हुई, तो बाढ़ की स्थिति बन सकती है।

किसानों को क्या करना चाहिए?

किसानों को अपने खेतों में नालियों को खोलकर पानी निकालना चाहिए। फसलों में फफूंदी और बीमारियों के खतरे के कारण, तुरंत फार्मेसी से फंगिसाइड लेना चाहिए। IMD ने अपील की है कि खेतों में जल जमाव न होने पाए। अभी तक कोई सरकारी मुआवजा घोषित नहीं हुआ है।

चक्रवात का असली खतरा क्या है?

असली खतरा तेज हवाएं नहीं, बल्कि लंबे समय तक चलने वाली बारिश है। चक्रवात अब धीमा हो गया है, लेकिन इसकी नमी अभी भी बहुत ज्यादा है। इसका मतलब है — बारिश लगातार 36-48 घंटे तक चलेगी, जिससे जमीन भीग जाएगी और बाढ़ का खतरा बढ़ जाएगा।

क्या बिहार में अब भी बारिश जारी रहेगी?

31 अक्टूबर को हल्की बारिश और बिजली गिरने की संभावना है, लेकिन 1 नवंबर से दशमी के बाद मौसम सुधरने की उम्मीद है। IMD का कहना है कि अगले 48 घंटों में बारिश कम होगी, लेकिन नमी बनी रहेगी — इसलिए आर्द्रता और गर्मी जारी रहेगी।

पटना में क्या हालात हैं?

पटना में बादल छाए हुए हैं और सुबह-शाम हल्की बारिश हो रही है। तापमान 28°C के आसपास है, लेकिन आर्द्रता 85% के पार है — इसलिए महसूस हो रहा है कि हवा भारी है। शहर के कुछ हिस्सों में जलभराव की शिकायतें आई हैं, लेकिन अभी तक कोई बड़ी बाढ़ नहीं आई है।