डायमंड लीग फाइनल में पहली बार प्रतिभाग करते हुए अविनाश साबले ने हासिल की नौवीं पोजीशन
अविनाश साबले ने एक और बार अपनी ताकत और धैर्य को साबित किया है। भारतीय एथलीट साबले ने ब्रसेल्स, बेल्जियम में आयोजित डायमंड लीग फाइनल 2024 के पुरुषों की 3000 मीटर स्टीपलचेज़ स्पर्धा में नौवीं पोजीशन हासिल की। यह प्रतियोगिता उनके लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी क्योंकि यह उनकी डायमंड लीग फाइनल में पहली उपस्थिति थी।
साबले की उपलब्धि
साबले ने इस स्पर्धा में 8 मिनट 17.09 सेकंड का समय निकाला। साबले का प्रदर्शन उनके अनुभव और कौशल का प्रमाण है। 30 साल के साबले ने हाल ही में पेरिस डायमंड लीग में नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बना कर इतिहास रचा था। उन्होंने 8:09.91 मिनट का समय निकालकर यह कीर्तिमान स्थापित किया था और उसमें भी छठी पोजीशन प्राप्त की थी।
साबले का इस साल का प्रदर्शन मिश्रित रहा है। हाल ही में साइलिसिया में आयोजित एक अन्य डायमंड लीग स्पर्धा में वे 14वें स्थान पर रहे थे और पेरिस ओलंपिक्स 2024 में 11वीं पोजीशन प्राप्त की थी। इन परिणामों के बावजूद, साबले का आत्मविश्वास और उनके लिए यह फ़ाइनल एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।
प्रतिद्वंद्वियों से मुकाबला
डायमंड लीग फाइनल में साबले का मुकाबला दुनिया के शीर्ष एथलीटों से था। इनमें से कुछ प्रमुख नाम थे - सौफियाने एल बक्काली, अब्राहम किबिवोट और अमोस सेरम। इन दिग्गज एथलीटों के साथ मुकाबला करना कोई आसान काम नहीं था, लेकिन साबले ने अपनी दमखम और मेहनत से वहां अपनी जगह बनाई।
भविष्य की संभावनाएं
डायमंड लीग फाइनल 2024 की समाप्ति के बाद साबले की निगाहें अब भविष्य की प्रतियोगिताओं पर होंगी। उनकी तैयारियों और मेहनत से उम्मीद की जा रही है कि वे अगले सीजन में और भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे। उनका यह सफर नए भारतीय एथलीटों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन सकता है और उन्हें भी उच्चतम स्तर पर प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने की प्रेरणा देगा।
अविनाश साबले का नाम अब भारतीय खेल इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। उनकी मेहनत, कड़ी तैयारी और शक्ति ने यह दिखा दिया है कि किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए समर्पण और मेहनत कितनी महत्वपूर्ण होती है। आइए हम सब उनके इस सफर में उन्हें ढेर सारी शुभकामनाएं दें और उनके आगे के प्रतियोगिताओं में भी उन्हें सफलता की कामना करें।
 
                                                                         
                                            
                                             
                                            
                                             
                                            
                                             
                                            
                                             
                                            
                                            
Jaykumar Prajapati
सितंबर 14, 2024 AT 23:28अरे यार, क्या बात है! अविनाश साबले ने इस फाइनल में फर्स्ट टाइम दिखा दिया कि असली खेल का असली मतलब क्या होता है। लेकिन सुना है कि इस इवेंट के पीछे विदेशी एजेंसियां भी अपने दांव लगा रही हैं, ताकि भारत का नाम कुछ खास बना रहे। आखिर वो 8 मिनट 17 सेकंड का टाइम कैसे निकाल पाए, शायद कुछ गुप्त ट्रेनिंग प्रोटोकॉल का इस्तेमाल किया होगा। हम सबको इस पर ख्याल रखना चाहिए, क्योंकि अगर ये खुद को फ्रेम नहीं कर पाएगा तो अगली बार क्या होगा? वाकई में ड्रामा तो शुरू ही हो गया है।
PANKAJ KUMAR
सितंबर 15, 2024 AT 01:41साबले की इस उपलब्धि पर दिल से बधाई! उन्होंने लगातार मेहनत और धीरज से यह मुकाम हासिल किया है। यह दिखाता है कि भारतीय एथलीट्स भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काबिलियत दिखा सकते हैं। आगे भी ऐसे ही प्रेरणा देते रहें।
Anshul Jha
सितंबर 15, 2024 AT 03:54देश का गौरव है ये अविनाश सिर्फ़ मस्तिष्क नहीं दिल भी चाहिए
Anurag Sadhya
सितंबर 15, 2024 AT 06:08वाह! 😃 यह तो बड़ी ही प्रेरणादायक खबर है। अविनाश भाई ने कड़ी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया, इससे युवा एथलीट्स को नई ऊर्जा मिली होगी। 🎉 चलो, हम सब मिलकर उन्हें और भी समर्थन दें। 🌟
Sreeramana Aithal
सितंबर 15, 2024 AT 08:21साबले ने तो सच में चमकाया, लेकिन देखते हैं क्या यह एक बार की चमक है या सतत प्रकाश। नतीजा यही कि वह फाइनल में नौवें स्थान पर आया, पर क्या यह उनके करियर को नया मुक़ाम देगा? कुछ लोग इसे मात्र भाग्य मानेंगे, पर मैं कहूँगा कि यह उनके निरंतर प्रशिक्षण का फल है। फिर भी, इस तरह की प्रतियोगिताओं में अक्सर धुंधले मानदंड होते हैं, जो सच्ची प्रतिभा को छुपा देते हैं।
Anshul Singhal
सितंबर 15, 2024 AT 10:34अविनाश साबले की यह उपलब्धि हमें कई आयामों से सोचने पर मजबूर करती है। सबसे पहले, यह दिखाता है कि एक एथलीट कितनी दृढ़ता और संयम के साथ अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ सकता है, भले ही वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहली बार कदम रख रहा हो।
दौड़ में 8 मिनट 17.09 सेकंड का समय प्राप्त करना केवल शारीरिक तयारी नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता का परिणाम है। इस प्रकार की सफलता अक्सर कई वर्षों के निरंतर प्रशिक्षण, सही कोचिंग और एक सपोर्ट सिस्टम की मांग करती है।
हमें यह भी समझना चाहिए कि इस प्रकार के फाइनल में भाग लेना स्वयं में एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि चयन प्रक्रिया कठिन और प्रतिस्पर्धी होती है। यह दर्शाता है कि साबले ने राष्ट्रीय स्तर पर निरंतर प्रदर्शन कर अपनी जगह बनाई है।
फिर भी, यह सफलता एक नई चुनौती का द्वार भी खोलती है, क्योंकि अब उम्मीदें और बड़ी होंगी, और प्रतिस्पर्धी भी अधिक कड़ी। इसलिए एक एथलीट को लगातार अपनी तकनीक और रणनीति को पुनः मूल्यांकन करना चाहिए।
भविष्य की बात करें तो, यदि वह इस प्रेरणा को अपने अगले प्रशिक्षण में शामिल करता है, तो संभावनाएं और अधिक उज्जवल हो सकती हैं। इस जीत को एक मोड़ बनाकर वह अपने करियर को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकता है।
साथ ही, यह भारतीय एथलेटिक्स के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो युवा खिलाड़ियों को यह विश्वास दिलाता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख स्थान प्राप्त किया जा सकता है।
अंत में, मैं कहूँगा कि इस तरह की उपलब्धियों को केवल एक घटना के रूप में नहीं, बल्कि एक सतत प्रक्रिया के हिस्से के रूप में देखना चाहिए, जिसमें निरंतर मेहनत, धैर्य और आशावाद का मिश्रण हो।
DEBAJIT ADHIKARY
सितंबर 15, 2024 AT 12:48आदरणीय सदस्यगण, अविनाश साबले का यह प्रदर्शन भारतीय खेल जगत के लिए संतोषजनक है। इस प्रकार के अंतरराष्ट्रीय मंच पर उन्हें नौवीं पोजीशन प्राप्त करना सराहनीय है। भविष्य में निरंतर समर्थन अपेक्षित है।
abhay sharma
सितंबर 15, 2024 AT 15:01ओह वाह, फिर से बड़ाई कर रहे हैं, ठीक है
Abhishek Sachdeva
सितंबर 15, 2024 AT 17:14साबले के टाइम को देखे तो लगता है ट्रेनिंग में कुछ उन्नत तकनीक अपनाई होगी। फिर भी, नौवें स्थान पर आना कोई छोटी बात नहीं, लेकिन यह दर्शाता है कि प्रतियोगिता बहुत कठिन थी। आगे के सीजन में यदि वह अपनी रणनीति में सुधार करे तो अच्छा रहेगा।
Janki Mistry
सितंबर 15, 2024 AT 19:28टाइम 8:17.09 अंकित, प्रदर्शन की बेंचमार्क सेट। एथलेटिक प्रोफाइल में सुधार आवश्यक।
Akshay Vats
सितंबर 15, 2024 AT 21:41उस टाइम को देखके लगता है की ट्रेनिंग प्लान में एरर था रे। सुधरना पड़ेगा बाहर
Anusree Nair
सितंबर 15, 2024 AT 23:54अविनाश भाई की मेहनत वाकई में दिल को छू गई। हमें ऐसे ही एथलीट्स को आगे बढ़ते देखना चाहिए, इससे सभी को प्रेरणा मिलेगी। चलिए, उनके लिए शुभकामनाओं की रौशनी भेजते हैं। उनका भविष्य उज्जवल हो!
Bhavna Joshi
सितंबर 16, 2024 AT 02:08साबले की इस यात्रा को देखना दार्शनिक रूप से भी रोचक है। वह शारीरिक सीमाओं को चुनौती देते हुए अभिव्यक्ति की नई परिभाषा स्थापित कर रहे हैं। उनका प्रदर्शन न केवल व्यक्तिगत लक्ष्य का प्रतीक है, बल्कि भारतीय एथलेटिक्स में एक प्रगतिशील दिशा का संकेत भी। भविष्य में यदि हम सामूहिक समर्थन को व्यवस्थित करें तो यह स्तर और अधिक ऊँचा हो सकता है। अंततः, यह हमें यह सीख देता है कि लगातार प्रयास और सीखना ही प्रगति की कुंजी है।
Ashwini Belliganoor
सितंबर 16, 2024 AT 04:21भले ही साबले की कारनामा सराहनीय हो, पर आंकड़े अभी भी सुधार की मांग करते हैं। पांच-छह साल पहले के रिकॉर्ड से तुलना में बहुत दूरी है। इस दिशा में निरंतर निवेश आवश्यक है।
Hari Kiran
सितंबर 16, 2024 AT 06:34बहुत ही समझदारी भरा विश्लेषण है। इस बात को हम सभी को सराहना चाहिए। आगे के कदमों में मददगार रहेगा।
Hemant R. Joshi
सितंबर 16, 2024 AT 08:48अविनाश साबले की इस उपलब्धि को एक व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखना आवश्यक है। सबसे पहले, यह हमें यह याद दिलाता है कि एथलेटिक्स में निरंतरता और प्रतिबद्धता का महत्व कितना बड़ा है। उनके द्वारा प्राप्त किया गया समय, यद्यपि नौवें स्थान पर है, परंतु यह उनके व्यक्तिगत विकास का प्रमाण है। उनका प्रशिक्षण कार्यक्रम, कोचिंग टीम और सपोर्ट सिस्टम इस सफलता में मुख्य योगदानकर्ता रहे हैं।
इसी प्रकार, अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में भारतीय एथलीट्स का प्रदर्शन अक्सर संसाधनों और संरचनात्मक समर्थन की कमी के कारण सीमित रहता है। इस पर ध्यान देना चाहिए ताकि भविष्य में और भी उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त किए जा सकें।
भविष्य की ओर देखते हुए, यदि मौजूदा ढांचे में सुधारात्मक उपाय लागू किए जाएं, तो यह न केवल साबले जैसे एथलीटों के लिए, बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्रीय खेल व्यवस्था के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। इसके साथ ही, नई पीढ़ी के एथलीट्स को प्रेरणा मिलेगी और वह अधिक ऊँचे लक्ष्य निर्धारित करेंगे।
अतः यह उपलब्धि सिर्फ़ एक अंक नहीं, बल्कि एक परिवर्तन की नींव है, जिसे हम सभी को संभाल कर रखना चाहिए।
guneet kaur
सितंबर 16, 2024 AT 11:01साबले की इस जीत पर इतना उत्साह देख कर थोड़ा बोर हो गया हूँ। एक एथलीट को सिर्फ़ नौवें स्थान पर पहुंचने के लिए ही प्रशंसा नहीं चाहिए, और मेहनत की भी जरूरत है। आगे की प्रतियोगिताओं में इन्हें वास्तविक सफलता दिखानी चाहिए।
PRITAM DEB
सितंबर 16, 2024 AT 13:14अविनाश साहब की इस उपलब्धि के लिए सर्वश्रेष्ठ शुभकामनाएँ! आगे भी इसी ऊर्जा के साथ प्रतियोगिताओं में चमकते रहें।