भारतीय रेलवे ने शनिवार, 8 जून 2024 को उत्तर प्रदेश के बरेली से तमिलनाडु के तंबरम तक एक प्रयोगात्मक विशेष ट्रेन चलाई — ट्रेन नंबर 04324, जो एक 16-कोच वाली सुपरफास्ट ट्रेन है। ये ट्रेन रात 10 बजे बरेली स्टेशन (स्टेशन कोड: BE) से निकली और सोमवार, 10 जून को दोपहर 3 बजे तंबरम (स्टेशन कोड: TBM) पहुँचेगी — लगभग 41 घंटे की यात्रा। ये ट्रेन सिर्फ एक बार चल रही है, लेकिन अगर यात्री प्रतिक्रिया अच्छी रही, तो इसे नियमित सेवा में बदलने की योजना है।

उत्तर और दक्षिण के बीच एक खाई को भरने की कोशिश

बरेली जैसे शहर से दक्षिण भारत की ओर सीधी ट्रेन सेवा की मांग सालों से थी। अक्सर यात्री दिल्ली या लखनऊ से गोवा, बैंगलोर या चेन्नई के लिए ट्रेन बदलते थे — एक थकान भरी और समय लेने वाली प्रक्रिया। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, "दक्षिण भारत के लिए ट्रेन सेवा की मांग जल्द पूरी होने की उम्मीद है"। आज ये उम्मीद एक ट्रेन में बदल गई है।

इस ट्रेन का रूट उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु को छूता है। इसमें कसगंज, मथुरा, आगरा कैंट, ग्वालियर, विरांगना लक्ष्मीबाई झांसी जंक्शन, बीना जंक्शन, भोपाल, इटारसी, नागपुर, वारंगल, विजयवाड़ा, नेल्लोर, गुदूर, चेन्नई एग्मोर जैसे महत्वपूर्ण स्टेशन शामिल हैं।

दूरी में अंतर: 2274 किमी या 1715 किमी?

यहाँ एक अज्ञात बात है — अमर उजाला के अनुसार यह ट्रेन 2274 किमी की यात्रा करती है, लेकिन गोइबिबो के डेटा के मुताबिक यह दूरी केवल 1715 किमी है। दोनों स्रोत यही कहते हैं कि ट्रेन रात 10 बजे निकलती है और तीसरे दिन दोपहर 3 बजे पहुँचती है। क्या यह रूट के अलग-अलग तरीकों का अंतर है? या कोई स्टेशन शामिल नहीं है? रेलवे ने अभी तक इस अंतर की व्याख्या नहीं की है। लेकिन यह बात साफ है: ये ट्रेन लंबी दूरी की यात्रा करती है — और यह एक बड़ा कदम है।

यात्रियों की प्रतिक्रिया: उत्साह और चिंता

यात्रियों की प्रतिक्रिया: उत्साह और चिंता

बरेली के एक यात्री, राजेश शर्मा, जो तंबरम में अपनी बेटी के साथ रहते हैं, बोले, "मैं 15 साल से दक्षिण जाने के लिए दिल्ली या लखनऊ जाता था। आज जब पहली बार ये ट्रेन देखी, तो आँखें नम हो गईं।"

लेकिन चिंता भी है। कई यात्री बता रहे हैं कि ट्रेन के अंदर बिजली और पानी की व्यवस्था कैसी है? शाम को निकलने वाली इस ट्रेन में बिस्तरों की सुविधा अच्छी है, लेकिन आधी रात के बाद आए अन्य यात्रियों के लिए बेहतर खाने की व्यवस्था नहीं है। रेलवे के एक अधिकारी ने बताया, "हम इस ट्रेन के आधार पर यात्री संतुष्टि, आवागमन की दर और समय पर पहुँचने का आंकलन करेंगे।"

एक नए समय की शुरुआत

भारतीय रेलवे के पास दक्षिण भारत के लिए उत्तरी शहरों से सीधी ट्रेनें कम हैं। बरेली जैसे शहर के लिए ये पहली बार है। ये ट्रेन सिर्फ एक ट्रेन नहीं है — ये एक संकेत है कि रेलवे अब छोटे शहरों की भी जरूरतों को समझने लगा है।

इससे पहले, उत्तर प्रदेश के अन्य शहर जैसे मेरठ, गाजियाबाद या आगरा के लोग भी दक्षिण भारत जाने के लिए बरेली या लखनऊ जाते थे। अगर ये ट्रेन सफल हुई, तो शायद अगले साल हम देखेंगे कि गाजियाबाद से तंबरम या आगरा से चेन्नई की भी सीधी ट्रेन चलने लगे।

अगला कदम क्या है?

अगला कदम क्या है?

रेलवे ने इस ट्रेन को एक "प्रयोग" के रूप में शुरू किया है। अगले दो महीने में यात्री संख्या, टिकट बुकिंग की दर, और यात्री समीक्षाएँ देखकर यह फैसला होगा कि इसे नियमित सेवा में बदला जाए या नहीं। अगर यह लगातार 70% से अधिक बुकिंग रही, तो ये ट्रेन शायद हर दो हफ्ते में चलने लगेगी — फिर शायद हर सप्ताह।

यह ट्रेन सिर्फ एक रेल लाइन नहीं है — ये एक आत्मविश्वास का प्रतीक है। एक ऐसे शहर से जहाँ लोग सोचते थे कि "हम दक्षिण के लिए बस अपने बड़े भाई जैसे लखनऊ या दिल्ली के ऊपर निर्भर हैं" — अब वो खुद एक नेटवर्क का हिस्सा बन गए हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इस ट्रेन का रूट क्या है और कितने स्टेशन रुकते हैं?

यह ट्रेन बरेली से तंबरम तक 17 स्टेशनों पर रुकती है, जिनमें कसगंज, मथुरा, आगरा कैंट, ग्वालियर, झांसी, बीना, भोपाल, इटारसी, नागपुर, वारंगल, विजयवाड़ा, नेल्लोर, गुदूर, चेन्नई एग्मोर शामिल हैं। ये सभी स्टेशन उत्तर और दक्षिण भारत के बीच के प्रमुख रेलवे नेटवर्क का हिस्सा हैं।

इस ट्रेन का आयोजन क्यों किया गया?

बरेली और इसके आसपास के क्षेत्रों में दक्षिण भारत के लिए सीधी ट्रेन सेवा की लंबे समय से मांग थी। अक्सर यात्रियों को दो-तीन ट्रेनों में बदलना पड़ता था। इस प्रयोग का उद्देश्य यह जांचना है कि क्या यात्री इस ट्रेन का उपयोग करेंगे और क्या यह ऑपरेशनल रूप से संभव है।

क्या यह ट्रेन नियमित रूप से चलेगी?

अभी तो यह एक प्रयोगात्मक सेवा है। अगले 60 दिनों में रेलवे यात्री संख्या, बुकिंग दर और समय पर पहुँचने के आंकड़ों का विश्लेषण करेगा। अगर यह ट्रेन 70% से अधिक बुकिंग के साथ चलती है, तो इसे हर दो हफ्ते में चलाने की संभावना है, और बाद में हर सप्ताह।

इस ट्रेन में कौन सी सुविधाएँ उपलब्ध हैं?

यह एक 16-कोच वाली सुपरफास्ट ट्रेन है, जिसमें केवल आरक्षित कोच हैं। सभी कोचों में बिस्तर, बिजली और शौचालय उपलब्ध हैं। खाने की सुविधा ट्रेन में उपलब्ध है, लेकिन कुछ यात्रियों ने रात के समय खाने की कमी की शिकायत की है। रेलवे इसकी समीक्षा कर रहा है।

क्यों दूरी में अंतर है — 2274 किमी या 1715 किमी?

अमर उजाला और गोइबिबो के बीच दूरी में अंतर है, लेकिन दोनों स्रोत यात्रा का समय (41 घंटे) और समय सारणी एक जैसी बताते हैं। यह अंतर शायद रूट के अलग-अलग मापन या स्टेशनों की गिनती में अंतर के कारण है। रेलवे ने अभी तक इसकी व्याख्या नहीं की है, लेकिन यह यात्रा के समय या स्टेशनों पर रुकने के आधार पर निर्भर करती है।

क्या यह ट्रेन अन्य उत्तरी शहरों के लिए भी शुरू होगी?

अगर यह ट्रेन सफल हुई, तो रेलवे गाजियाबाद, मेरठ, आगरा और लखनऊ जैसे शहरों से भी दक्षिण भारत के लिए सीधी ट्रेनें शुरू करने की योजना बना रहा है। यह एक नए रेलवे नेटवर्क की शुरुआत हो सकती है — जहाँ छोटे शहर भी सीधे दक्षिण भारत से जुड़ेंगे।