चे ग्वेरा की छवि: एक क्रांतिकारी प्रतीक का व्यावसायीकरण
अर्जेंटीनाई मार्क्सवादी क्रांतिकारी चे ग्वेरा की छवि को आज भी एक प्रतीकात्मक रूप से देखा जाता है। हालांकि, उनकी छवि का व्यापक व्यावसायीकरण उनके विरोधी पूंजीवादी विचारों के विपरीत है।
क्या आपको लगता है कि खेल और खबरें सिर्फ खेल और सच के बारे में हैं? नहीं। आज हर बड़ा मैच, बड़ा स्टोरी पैकेज और लाइव ब्रॉडकास्ट पैसे से जुड़ा हुआ है। यही प्रक्रिया है — व्यावसायीकरण। यह अच्छा भी करता है (पैसे से खेल को बढ़ावा मिलता है) और परेशान भी करता है (कहीं-कहीं सच और दर्शक के हित पीछे रह जाते हैं)।
उदाहरण देखिए: IPL और WPL जैसी लीगों ने खिलाड़ियों की कीमतें बढ़ा दीं, ब्रॉडकास्टिंग राइट्स ने फुटबॉल, क्रिकेट और महिला क्रिकेट को ग्लैमर दिया। लेकिन टिकट, सब्सक्रिप्शन और विज्ञापन की वजह से रिपोर्टिंग और खेल पर दबाव भी बढ़ गया है।
कौन से संकेत बताते हैं कि कोई खबर या इवेंट व्यावसायीकरण की चपेट में है? यहाँ सीधे-सीधे बातें:
इन संकेतों को पहचानकर आप तय कर सकते हैं कि आलेख, शो या चैनल कितने निष्पक्ष हैं।
आपको सिर्फ passive दर्शक बनने की ज़रूरत नहीं है। कुछ आसान तरीके अपनाइए:
छोटी-छोटी आदतें आपकी न्यूज खपत बदल सकती हैं — आप बेहतर निर्णय ले पाएंगे और किस्मत के बजाय सच्चाई पर ध्यान देंगे।
व्यावसायीकरण पूरी तरह बुरा नहीं है। इससे पैसे आते हैं, नौकरियाँ बनती हैं और खेलों का दायरा बढ़ता है। पर जब पैसे कहानी को आकार देने लगें, तो हमें सवाल पूछने की जिम्मेदारी बनती है। अगली बार जब कोई बड़ी खबर या बड़ा मैच दिखे, तो एक मिनट सोचिए: यह खबर किसलिए है — आपको सच बताने के लिए या किसी ब्रांड को बेचने के लिए?
अगर आप चाहें तो हम इस टैग पर आई खबरों का विश्लेषण कर सकते हैं — कौन-सी रिपोर्ट्स ज्यादा विज्ञापनों से प्रभावित दिखती हैं और कौन-सी असल मुद्दों पर टिकती हैं। बस बताइए, हम आपकी जरूरत के हिसाब से सीधी और साफ खबरें लेकर आएंगे।
अर्जेंटीनाई मार्क्सवादी क्रांतिकारी चे ग्वेरा की छवि को आज भी एक प्रतीकात्मक रूप से देखा जाता है। हालांकि, उनकी छवि का व्यापक व्यावसायीकरण उनके विरोधी पूंजीवादी विचारों के विपरीत है।