ओलंपिक गोल्फ — इतिहास, नियम और भारत की उम्मीदें
क्या आपको पता है कि गोल्फ 112 साल के लंबे ब्रेक के बाद 2016 में ओलंपिक्स में लौटा था? तब से ओलंपिक गोल्फ ने दुनिया भर के खिलाड़ियों और दर्शकों की दिलचस्पी फिर से जीती है। अगर आप चाह रहे हैं कि ओलंपिक गोल्फ कैसे काम करता है और भारत का क्या स्थान है, तो यह पेज सीधे और साफ़ जानकारी देगा।
ओलंपिक गोल्फ का फॉर्मेट और क्वालिफिकेशन
ओलंपिक में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए इवेंट होते हैं। मैच साधारण तौर पर 72-होल स्ट्रोक-प्ले पर खेला जाता है — यानी चार दिन, हर दिन 18 होल। जीतने वाले खिलाड़ी का कुल स्कोर सबसे कम होता है और वही गोल्ड मेडल जीतता है।
क्वालिफिकेशन वर्ल्ड रैंकिंग पर आधारित है। कुल 60 खिलाड़ी हर इवेंट में शामिल होते हैं। देश (NOC) की सीमा का नियम भी लागू होता है: यदि किसी देश के कई खिलाड़ी टॉप-15 में हैं तो अधिकतम 4 खिलाड़ी भेज सकता है, वरना अधिकतर देशों के लिए अधिकतम 2 खिलाड़ी होते हैं। इस वजह से रैंकिंग के साथ-साथ देश की स्थिति भी मायने रखती है।
ओलंपिक बनाम मेजर: क्या अलग है?
ओलंपिक गोल्फ का सबसे बड़ा अंतर यह है कि यहां खिलाड़ी अपने देश के लिए खेलते हैं, न कि व्यक्तिगत टूर्नामेंट में ही। मेडल का मतलब देश के लिए गर्व होता है। वहीं मेजर टाइटल व्यक्तिगत करियर को आकार देता है। कई बड़े नाम कभी-कभी ओलंपिक्स खेलते हैं और कभी नहीं — यह उनकी प्राथमिकता और कैलेंडर पर निर्भर करता है।
ओलंपिक का कोर्स और मौसम भी अहम रहता है — अक्सर मैदानों पर मैच-प्ले जैसी सटीकता और स्टैमिना की ज़रूरत होती है क्योंकि हर होल की कद्र ज्यादा बढ़ जाती है।
भारत के लिए ओलंपिक गोल्फ खास है। अदिती अशोक ने टोक्यो में शानदार प्रदर्शन कर चौथा स्थान हासिल किया और देश की उम्मीदें बढ़ाईं। भारत में प्रो गोल्फ बढ़ रहा है, युवा खिलाड़ी इंटरनेशनल रैंकिंग में ऊपर आ रहे हैं — इससे अगली बार ओलंपिक्स में पदक की उम्मीदें और मजबूत होंगी।
अगर आप फॉलो करना चाहते हैं तो ओलंपिक के दौरान आधिकारिक ब्रॉडकास्ट और ओलंपिक वेबसाइट पर लाइव स्कोर, राउंड हाइलाइट्स और प्लेयर इंटरव्यू मिल जाते हैं। राष्ट्रीय गोल्फ संघ और खिलाड़ी भी सोशल मीडिया पर लाइव अपडेट देते हैं — इन्हें फॉलो कर के आप रीयल टाइम में मैच देख सकते हैं।
ओलंपिक गोल्फ ने गोल्फ को नई पहचान दी है — खिलाड़ी देश के लिए खेलते हैं, युवा टैलेंट को मौका मिलता है और दर्शकों को अलग तरह की प्रतिस्पर्धा देखने को मिलती है। अगली बार जब ओलंपिक्स हों, तो रैंकिंग, क्वालिफिकेशन और इंडिया के प्लेयर्स पर नजर रखें — शायद हम किसी मेडल की खुशी का गवाह बनें।