ओडीआई क्रिकेट: भारत और दुनिया की महिला टीमों के बड़े मुकाबले
जब बात आती है ओडीआई क्रिकेट, एक दिन का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जिसमें हर टीम 50 ओवर खेलती है और खेल की गहराई और रणनीति का बखूबी अहसास होता है. यह फॉर्मेट अब सिर्फ़ पुरुषों के लिए नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए भी एक बड़ा मंच बन चुका है। इसमें महिला क्रिकेट, एक ऐसा खेल जहाँ तेज़ी, धैर्य और बुद्धिमत्ता का मिश्रण देखने को मिलता है ने दुनिया भर में अपनी जगह बना ली है। ऑस्ट्रेलिया महिला टीम जैसी टीमें तो अब इस फॉर्मेट का नियम बना रही हैं, जबकि भारत महिला टीम उनके सामने लगातार चुनौती दे रही है।
आखिरी कुछ महीनों में ओडीआई क्रिकेट के मैचों में एक बड़ा नाम अचानक गायब हो गया — जेमीमा रॉड्रिगेज़, भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सबसे बड़ी बल्लेबाज़ और लीडरशिप का आधार। वायरल बुखार के कारण उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ओडीआई सीरीज़ से बाहर होना पड़ा। इसका असर तुरंत दिखा — टीम का बल्लेबाजी क्रम अस्थिर हो गया, और विश्व कप 2025 की तैयारी में एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया। लेकिन इसी बीच तेज़ल हस्बनिस जैसे खिलाड़ियों ने अपनी जगह बनाने का फैसला किया। ऑस्ट्रेलिया महिला टीम ने वाटरलू में न्यूज़ीलैंड को हराकर श्रृंखला में 2-0 की बढ़त बना ली, जिससे यह साफ़ हो गया कि ओडीआई क्रिकेट में अब टीमों का बल उनके गहरे प्लेयर्स पर नहीं, बल्कि उनके समग्र ढांचे पर निर्भर करता है।
इस वजह से ओडीआई क्रिकेट अब सिर्फ़ एक खेल नहीं, बल्कि एक ऐसा निकाय है जहाँ नियमित खिलाड़ियों का भी अहम योगदान होता है। जब न्यूज़ीलैंड ने चापेल-हाडली ट्रॉफी जीती, तो उनकी जीत का आधार एक दो बड़े नाम नहीं, बल्कि पूरी टीम का समन्वय था। इसी तरह भारत की महिला टीम भी अब एक ऐसे दौर से गुज़र रही है जहाँ एक खिलाड़ी की कमी टीम को नहीं रोक सकती। आपके सामने जो खबरें हैं, वो सिर्फ़ मैच के स्कोर नहीं, बल्कि इस बदलते खेल की गहराई को दर्शाती हैं — जहाँ नया नाम बन रहा है, पुरानी रणनीतियाँ बदल रही हैं, और हर ओडीआई मैच एक नई कहानी लिख रहा है।
20
नव॰
मुशफिकुर रहीम ने 19 साल के ओडीआई करियर के बाद सेवानिवृत्ति की, जिसमें उन्होंने 274 मैचों में 7,795 रन बनाए। उनके साथ ही महमूदुल्लाह रियाद भी चले गए, जिससे बांग्लादेश क्रिकेट का एक युग समाप्त हुआ।