जुवेनाइल जस्टिस एक्ट – युवा न्याय का नया मोड़
क्या आपने कभी सोचा है कि आपका बच्चा अगर कानून तोड़े तो उसे कौन से नियमों के तहत सजा मिलेगी? भारत में इसके लिए "जुवेनाइल जस्टिस एक्ट" (JJA) बनता है। यह act 2015 में आया और फिर कई बार संशोधित हुआ, ताकि किशोर अपराधियों को दंड देने के साथ‑साथ उनका पुनर्वास भी सुनिश्चित हो सके।
मुख्य बदलाव: उम्र सीमा और प्रक्रिया में लचीलापन
पहले 18 साल से नीचे की उम्र वाले सभी को जुवेनाइल माना जाता था। अब कुछ राज्यों ने इस सीमा को 21 तक बढ़ा दिया है, जिससे अधिक युवा दोबारा गलती करने के बाद भी जेल नहीं बल्कि पुनर्वास केंद्र में भेजे जा सकते हैं। साथ ही, न्याय प्रक्रिया में "वॉलंट्री सेंट्रल" की भूमिका बढ़ी है – पुलिस को तुरंत जुवेनाइल केस फाइल करने और कोर्ट तक पहुँचाने का समय अब 24 घंटे में सीमित किया गया है।
पुनर्वास पर जोर: शिक्षा, कौशल और मनोवैज्ञानिक मदद
सजा के बजाय सुधार को प्राथमिकता देना JJA की मुख्य नीति है। अब अदालतें "रिहैबिलिटेशन सेंटर" में रहने का आदेश दे सकती हैं जहाँ बच्चा पढ़ाई, खेल‑कूद और काउंसलिंग कर सकता है। कई मामलों में कोर्ट ने तकनीकी कौशल जैसे कंप्यूटर या वाणिज्यिक प्रशिक्षण भी दिया है, ताकि बच्चा समाज में वापस आए तो काम ढूँढ सके।
एक खास बात यह भी है कि अगर जुवेनाइल को पहली बार ही कोई छोटा अपराध किया हो, तो उसे "सर्टिफिकेट ऑफ फ्रीडम" (CF) मिल सकता है – यानी वह बिना किसी रिकॉर्ड के समाज में वापस जा सकता है। इससे भविष्य में नौकरी या पढ़ाई में बाधा नहीं आती।
लेकिन यह सब तभी काम करेगा जब माता‑पिता, स्कूल और समुदाय भी सक्रिय रहें। यदि बच्चा गलती करता है तो तुरंत परिवार को सूचित करना और काउंसलिंग करवाना आवश्यक है। कई NGOs ने इस दिशा में मददगार प्रोग्राम लॉन्च किए हैं जो कोर्ट के आदेशों को लागू करने में सहयोग देते हैं।
संक्षेप में, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का मकसद केवल दंड नहीं बल्कि युवा दिलों को सही राह पर लाना है। यदि आप या आपके जानने वाले इस act से प्रभावित होते हैं, तो कानूनी सलाह लेना और उपलब्ध पुनर्वास सुविधाओं का उपयोग करना फायदेमंद रहेगा। भविष्य में एक सुरक्षित समाज बनाने के लिए यह एक्ट महत्वपूर्ण कदम है, बस हमें इसका सही इस्तेमाल करना चाहिए।
21
मई
पुणे के कल्याणी नगर इलाके में एक पोर्श कार द्वारा दो आईटी पेशेवरों को कुचलने के मामले में नाबालिग चालक के पिता को औरंगाबाद से गिरफ्तार किया गया है। पीड़ित परिवार इस घटना को दुर्घटना नहीं बल्कि हत्या मानते हुए आरोपी को दी गई जमानत के खिलाफ लड़ने का संकल्प लिया है।