आत्महत्या: चेतावनी संकेत और तुरंत क्या करें
अगर आप या कोई जिसे आप जानते हैं "अब और सहन नहीं कर सकता" जैसा महसूस कर रहा है, तो हर मिनट मायने रखता है। नीचे सीधे, आसान और काम के तरीके दिए गए हैं जिनसे आप तुरंत मदद कर सकते या ले सकते हैं।
पहचानने के साफ संकेत
सबसे पहले यह जान लें कि संकेत हमेशा स्पष्ट नहीं होते। फिर भी इन बातों पर ध्यान दें: लगातार उदासी या बेइंतहा थकान, खुद को बेकार बताना, मौत या मरने की बातें करना, अचानक चीजें दे देना (जैसे दस्तावेज़ या कीमती सामान), दोस्तों और परिवार से दूरी बनाना, शराब या नशीले पदार्थों का ज़्यादा उपयोग, नींद या भूख में बड़ा बदलाव।
अगर कोई सीधे कहे कि "मैं मरना चाहता/चाहती हूँ" तो उसे तुरंत गंभीरता से लें। अक्सर लोग संकेत देते हैं—उनकी बात सुनना और समय देना पहली और सबसे असरदार मदद है।
फौरन करने योग्य कदम (अगर खतरा नज़दीक हो)
1) जोखिम में रहे व्यक्ति को अकेला न छोड़ें। शक हो तो उसे तुरंत साथ रखें या किसी भरोसेमंद व्यक्ति के पास छोड़ें।
2) अगर घटना आपातकाल जैसी हो — धमकी देना, हथियार पास रखना, नशे में होना या तुरंत नुकसान पहुँचाने की स्थिति — भारत में आपातकाल नंबर 112 पर कॉल करें या नजदीकी अस्पताल/पुलिस से संपर्क करें।
3) शांत होकर सुनिए। सवाल पूछिए: "तुम कैसा महसूस कर रहे हो?" और बिना किसी निंदा के उनकी बात स्वीकार करिए। सीधे समाधान देने की जल्दी न करें; साथ होना ही बहुत मदद करता है।
4) अगर संभव हो तो किसी भरोसेमंद मित्र, परिवार के सदस्य या धार्मिक/समुदायिक नेता को शामिल करें। मदद को फैलाने से दबाव कम होता है।
5) जहमत वाले सामान (दवाइयाँ, हथियार, तेज चीजें) को सुरक्षित स्थान पर रखें जब तक कि पेशेवर मदद न मिल जाए।
पोस्ट-क्राइसिस: पेशेवर मदद ज़रूरी है। मनोचिकित्सक, काउंसलर या क्लिनिक से संपर्क कराएँ। मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ समस्या की जड़ पर काम करती हैं—दवाइयाँ, थेरपी और सपोर्ट ग्रुप मददगार होते हैं।
आप कैसे बात करें: शांत लहजे में, छोटे सवाल पूछें, उम्मीद बनाकर बातें करें जैसे "मुझे तुम्हारी चिंता है, मैं यहाँ हूँ, क्या मैं तुम्हारे साथ अस्पताल चलूँ?" दोषारोपण या छोटा करने जैसी बातें न कहें।
यदि आप खुद संकट में हैं: पहले किसी भरोसेमंद से बात करें, अगर न हो तो 112 कॉल करें या नज़दीकी आपातकालीन विभाग जाएँ। रात-दिन का दर्द असहनीय लगता है पर मदद मौजूद है और बेहतर वक्त आएगा।
आख़िर में — आप अकेले नहीं हैं और मदद लेना कमजोरी नहीं, हिम्मत है। चाहें तो अपने नज़दीकी डॉक्टर से शुरुआत करें या ऑनलाइन/स्थानीय काउंसलिंग सेवाओं की जानकारी लें। किसी भी कदम में अगर आप असमंजस में हों तो 112 पर कॉल कर दिशा-निर्देश लें।