अन्ना सेबस्टियन पेरेयिल, केरल की एक होनहार चार्टर्ड अकाउंटेंट, जिन्होंने मात्र 26 वर्ष की आयु में अपनी जान गंवा दी। उन्होंने नोवंबर 2023 में अपने सीए परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया और मार्च 2024 में पुणे स्थित Ernst & Young (EY) के कार्यालय में अपने करियर की शुरुआत की। अन्ना के करियर की यह उड़ान बहुत ही उत्साहजनक थी, लेकिन कुछ महीनों के भीतर ही यह सपना एक बुरे सपने में तब्दील हो गया।
मां का कष्ट और सवाल
अन्ना की मां, अनीता ऑगस्टीन ने अपनी बेटी की मौत के पीछे EY में 'काम के तनाव' को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने बताया कि अन्ना पहले ही दिन से काम के तनाव से जूझने लगी थी। हालांकि, वह अपने काम को बखूबी अंजाम देने की कोशिश करती रही, परंतु नये माहौल और अत्यधिक काम के दबाव में उसकी सेहत बिगड़ती चली गई।
काम का तनाव और स्वास्थ्य पर प्रभाव
अनीता ने अपने पत्र में बताया कि कैसे अन्ना ने 19 मार्च 2024 को जॉइनिंग के बाद से ही अनिद्रा, चिंता और तनाव का सामना करना शुरू कर दिया था। वह स्कूल से कॉलेज तक एक उच्च-प्राप्तकर्ता थी, लेकिन EY में काम का बोझ उसके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर भारी पड़ने लगा। उसके बॉस ने उसे देर रात में काम सौंप कर सुबह तक पूरा करने को कहा, जिससे उसकी नींद और आराम बुरी तरह प्रभावित हुआ।
अनीता ने बताया कि काम के दौरान अन्ना लगातार परेशान महसूस करती थी, लेकिन उसने हार नहीं मानी और काम करती रही। इसके बावजूद, नियोक्ता के तरफ से कोई सहयोग नहीं मिला। जब अन्ना ने अपने बॉस से काम के बारे में अपनी चिंता जताई, तो उन्हें यह कहकर टाल दिया गया कि 'हम सब रात में काम करते हैं।'
व्यक्तिगत अनुभव और ट्रैजेडी
अनीता ने खुलासा किया कि अन्ना को स्वास्थ्य संबंधी शिकायतें होने लगी थी और उन्होंने 6 जुलाई 2024 को उन्हें अस्पताल ले जाया था, लेकिन उसके बावजूद अन्ना काम पर लौट आई। 7 जुलाई को जब अन्ना का सीए दीक्षांत समारोह हुआ, तब भी वह दोपहर तक घर से काम करती रही। अंततः, 20 जुलाई 2024 को अन्ना की मृत्यु हो गई।
कॉर्पोरेट संस्कृति की आलोचना
अनीता का पत्र EY इंडिया के चेयरमैन राजीव मेमानी को भेजा गया, जिसमें उन्होंने कंपनी की 'ओवरवर्क की महिमा' और कर्मचारियों की वास्तविक हालत के बीच के अंतर को उजागर किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि कंपनी अपने कार्यसंस्कृति पर विचार करेगी और कर्मचारियों के स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता देगी, ताकि किसी और परिवार को ऐसा दर्द न सहना पड़े।
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि अन्ना के अंतिम संस्कार में EY का कोई भी प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ, जिससे परिवार का दुःख और बढ़ गया।
प्रबंधकों की जिम्मेदारी
इस दुखद घटना ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या कॉर्पोरेट जगत को अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य के प्रति अधिक संवेदनशील नहीं होना चाहिए? ऐसे प्रबंधकों को जवाबदेही के लिए बुलाना चाहिए, जो अपने कर्मचारियों पर अनावश्यक दबाव डालते हैं।
अंत में, अन्ना का मामला हमें एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि 'काम की संस्कृति' में सुधार की गहन आवश्यकता है और कंपनियों को 'ओवरवर्क' को नहीं बल्कि सामंजस्यपूर्ण कार्यसंस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए। अन्ना का जीवन शायद लघु था, लेकिन उनकी कहानी बहुत से जीवन में बदलाव ला सकती है।