डोडा मुठभेड़ में शहीद हुए कप्तान बृजेश थापा के परिवार का गर्व
डोडा, जम्मू-कश्मीर। आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में मारे गए भारतीय सेना के कप्तान बृजेश थापा के माता-पिता ने अपने बेटे की बहादुरी और साहस पर गर्व व्यक्त किया। कप्तान थापा के माता-पिता ने भावुक होकर कहा कि उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व है, जो हमेशा से देश सेवा का सपना देखता था।
डोडा जिले के देसा जंगल क्षेत्र में चल रहे एक संयुक्त ऑपरेशन में सुरक्षा बलों का सामना आतंकवादियों से हुआ, जिसमें कप्तान थापा समेत तीन अन्य जवान, नायक डी. राजेश, सिपाही बिजेंद्र और सिपाही अजय, शहीद हो गए। यह मुठभेड़ क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों की बढ़ती घटनाओं के जवाब में चल रही थी।
कप्तान बृजेश थापा: शुरुआती जीवन और सेना में जाने की प्रेरणा
कप्तान बृजेश थापा के माता-पिता ने उनके बचपन को याद करते हुए बताया कि बृजेश हमेशा से सेना में जाना चाहता था। अपने बचपन में वह अपनी माँ की सेना की वर्दी पहनकर घूमता था और अपने दोस्तों के साथ सेना के खेल खेलता था। बृजेश के पिता, जो खुद एक कर्नल हैं, ने कहा कि बृजेश की प्रेरणा सेना में सेवा करने का अभिप्रेत थी और वह इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए कठिन परिश्रम करता था।
जिम्मेदार पद और शहादत
कप्तान थापा ने भारतीय सेना में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ निभाईं। उनकी बहादुरी और कर्तव्यनिष्ठा का परिणाम था कि उन्हें डोडा जैसे संवेदनशील इलाके में तैनात किया गया था। उनकी शहादत पर गर्व करते हुए उनके पिता ने कहा, 'मेरा बेटा हमेशा अपने देश के लिए अपनी जान देने के लिए तैयार था, और उसने वही किया।' उनके चाचा, योगेश थापा, ने भी उनकी बहादुरी की प्रशंसा की और कहा कि हमें बृजेश पर गर्व है।
सरकारी अधिकारियों की प्रतिक्रियाएं
डोडा मुठभेड़ में शहीद हुए जवानों की जानकारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को दी गई। उन्होंने शहीदों के परिवारों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि ये जवान हमारी सुरक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी स्थिति की जानकारी ली और इस दुखद घटना पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि सेना अपने जवानों के बलिदान को कभी नहीं भूलेगी।
परिवार और समाज में शहीद का सम्मान
राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सेना के जवानों की शहादत को हमेशा सम्मानित किया जाता है। कप्तान बृजेश थापा के माता-पिता ने कहा कि हमें गर्व है कि हमारा बेटा अपने देश के लिए शहीद हुआ। यह उनका सपना था और उन्होंने इसे पूरा किया। समाज के विभिन्न वर्गों ने भी उनके शौर्य और बलिदान को नमन किया।
कप्तान बृजेश थापा की यह कहानी हमें एक बार फिर इस बात की याद दिलाती है कि हमारे सैनिक किस प्रकार कठिन परिस्थितियों में भी निडर होकर देश की सेवा करते हैं। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनकी शहादत को हमेशा याद रखें और उनके परिवारों का सम्मान करें।