हिमाचल प्रदेश के शिमला स्थित हिमाचल प्रदेश मौसम विभाग ने 6 अक्टूबर 2025, सोमवार को ऑरेंज अलर्ट जारी किया, ताकि छह जिलों में तेज़ बरसात, ओले‑बौछार, गड़गड़ाहट और 40‑50 किमी/घंटा की तेज़ हवाओं से संभावित नुकसान से बचा जा सके।
पिछले मौसम का संक्षिप्त इतिहास
सितंबर के अंत में दक्षिण‑पश्चिमी मानसून पलायन कर गया, फिर भी 5 अक्टूबर को अचानक‑सैद बारिश ने हिमाचल के पहाड़ी बाग़ों को हिलाने लगा। आमतौर पर इस महीने में सुबह‑शाम ठंडी और धुंध‑धूसर हवा चलती है, पर इस साल के तापमान में अजीब उतार‑चढ़ाव देखा गया—वमानों में 5 °C से 25 °C तक, जबकि घाटियों में 27 °C‑32 °C तक पहुंची। इस असामान्य गरमी ने जल‑स्रोतों को तेजी‑से भर दिया, पर साथ‑ही-साथ ढलानों को अस्थिर भी किया।
ऑरेंज अलर्ट की विस्तृत जानकारी
ऑरेंज अलर्ट ने निम्नलिखित जिलों को प्राथमिक रूप से चिन्हित किया है:
- चंबा
- कांगड़ा
- कुड़ली
- मंडी
- सिरौर
- लाहौल और स्पीति
इन क्षेत्रों में 6 अक्टूबर को बहुत‑भारी या अत्यधिक बारिश की संभावना है, साथ ही ओले‑बौछार, झड़के‑गड़गड़ाहट और तेज़ हवाओं के साथ। मौसम विभाग ने 40‑50 km/h की लहरदार हवा की भविष्यवाणी की है, जो पहाड़ी रास्तों पर टेपिकल ड्राइविंग को जोखिमपूर्ण बना देगी।
समाज के विभिन्न वर्गों के लिए मुख्य ख़तरा स्थानीय स्तर पर फ्लैश बाढ़ और ढलानों से आने वाले भूस्खलन हैं। छोटे‑बड़े नहरों में पानी का स्तर अचानक बढ़ सकता है, इससे न केवल कृषि को नुकसान पहुँचेगा बल्कि राहगीरों के लिए भी गतिरोध उत्पन्न होगा।

स्थानीय प्रतिक्रियाएँ और सरकारी कदम
हिमाचल प्रदेश के रजत मंत्रालय, आपदा प्रबंधन विभाग ने तुरंत विभागीय R‑टेबल जारी किया, जिसमें सभी जिलों के जिला अधिकारी, पुलिस प्रमुख और स्वास्थ्य सेवा के प्रमुख को आपातकालीन कार्यों के निर्देश दिए गए।
"हमने जनसड़क सुरक्षा को प्राथमिकता दी है और सभी पुलों, नदियों और ऊँचे रस्तों पर सतत निगरानी रखी है," कहा इन्ग्लिश डिप्लॉइड सीनियर डॉ. अंबरनाथ सिंह, हिमाचल प्रदेश जल विज्ञान संस्थान के प्रमुख. "अगर बाढ़ का खतरा बढ़ता है तो हम त्वरित निकासी योजना शुरू करेंगे।"
टूरिज़्म बोर्ड ने भी तत्काल सूचना जारी करके यात्रियों से आग्रह किया कि वे इन जिलों में यात्रा न करें, खासकर ट्रेकिंग, कैम्पिंग और हाईवे ड्राइविंग से बचें। स्थानीय हॉस्पिटलों को आपातकालीन ब्लड बैंक और रेस्पिरेटरी सपोर्ट के लिये तैयार रहने की सलाह दी गई है।
प्रभाव एवं विशेषज्ञ विश्लेषण
विस्तृत आँकड़ों के अनुसार, पूरे अक्टूबर में हिमाचल में 8‑15 दिन बारिश रहेगी, जो पिछले पाँच वर्षों की औसत से 30 % अधिक है। इस वर्ष पहले ही 5 अक्टूबर को येल्लो अलर्ट जारी किया गया था, और 7 अक्टूबर के लिए भी वही शेड्यूल जारी है।
हिमाचल के पर्यावरण विज्ञान संस्थान ने बताया कि यदि वर्षा के दौरान तापमान 0 °C और उससे नीचे गिरता है, तो बर्फबारी के साथ जल‑भंडार तेजी से भरता है, पर साथ‑ही-साथ बर्फ‑कटाव के कारण बाढ़ का जोखिम भी बढ़ता है। "ऐसे मिश्रित मौसमी स्थितियों में बर्फ‑पानी की तेजी‑से‑बूंद पड़ना, उच्च क्षेत्रों में बाढ़‑प्रवण नदियों को भर देता है," विशेषज्ञ ने चेतावनी दी।
कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी कि जल‑संकट के कारण उगाई गई धान की बुवाई में देरी न करें, और हल्की‑भारी फसलें जैसे जौ, मक्का को प्राथमिकता दें। साथ ही, फसल‑बीमा योजनाओं के तहत दावा प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने की घोषणा की गई।

आगे क्या हो सकता है?
मौसम विज्ञान के अनुसार, 8‑9 अक्टूबर तक हल्की‑मध्यम बारिश जारी रहने की संभावना है, जबकि 10 अक्टूबर के बाद हवा के रुझान बदल सकते हैं। यदि तेज़ हवाओं के साथ निरंतर ओले‑बौछार जारी रही, तो विभाग अगले दो दिनों में रेड अलर्ट जारी करने की संभावना को लेकर सतर्क है।
नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे नियमित रूप से हिमाचल प्रदेश मौसम विभाग की आधिकारिक वेबसाइट और मोबाइल ऐप पर अपडेट देखें, और आपातकालीन सुविधाओं के संपर्क में रहें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
ऑरेंज अलर्ट किसे प्रभावित करता है?
ऑरेंज अलर्ट मुख्य रूप से चंबा, कांगड़ा, कुड़ली, मंडी, सिरौर और लाहौल‑स्पीति जिलों को कवर करता है। इन क्षेत्रों में भारी बारिश, ओले‑बौछार, तेज़ हवा और संभावित बाढ़‑भूस्खलन की आशंका है, जिससे स्थानीय निवासियों, यात्रियों और किसानों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
क्या यात्रियों को इन जिलों में यात्रा करनी चाहिए?
टूरिज़्म बोर्ड ने स्पष्ट संकेत दिया है कि 6‑7 अक्टूबर के दौरान इन जिलों में वाय-व्यापारी यात्रा, ट्रेकिंग और हाईवे ड्राइविंग से बचना बेहतर रहेगा। यदि यात्रा अनिवार्य है, तो रियल‑टाइम अपडेट, स्थानीय पुलिस की सुरक्षा सलाह और आपातकालीन सेवाओं के नंबर जरुर रखें।
बारिश के कारण कृषि पर क्या असर पड़ सकता है?
भारी बारिश के कारण जमे हुए फसल‑क्षेत्र जल‑भराव का जोखिम बढ़ता है, जिससे जुताई‑कुलाड़ में दिक्कत होती है। विशेषज्ञों ने हल्के‑मध्यम पादपों जैसे जौ और मक्का की बुवाई को प्राथमिकता देने की सलाह दी है और फसल‑बीमा के दावों को शीघ्र प्रक्रिया करने का निर्देश दिया है।
भविष्य में अलर्ट की स्थिति कैसे बदल सकती है?
मौसम विज्ञानियों ने बताया कि 8‑9 अक्टूबर तक हल्की‑मध्यम बारिश जारी रहेगी, पर यदि तेज़ हवाओं के साथ भारी ओले‑बौछार बनी रही, तो विभाग अगले दो दिनों में रेड अलर्ट जारी करने की संभावना रखता है। इसलिए, नागरिकों को सतर्क रहना और निरंतर मौसम अपडेट देखना आवश्यक है।
ऑरेंज अलर्ट के तहत स्थानीय प्रशासन ने कौन‑से उपाय उठाए हैं?
रजत मंत्रालय, आपदा प्रबंधन विभाग ने जिला प्रमुखों को त्वरित कार्य योजना जारी की, जिसमें पुल‑नदी की निरंतर जाँच, आपातकालीन राहत‑सामग्री की तयारियों और स्वास्थ्य‑सेवाओं के लिए अतिरिक्त स्टाफ की नियुक्ति शामिल है। साथ ही, स्थानीय पुलिस को भी मार्ग सुरक्षा और निकासी सहायता के लिए तैनात किया गया है।
naman sharma
अक्तूबर 6, 2025 AT 20:36सम्पूर्ण अलर्ट प्रणाली में कई बार विदेशी विज्ञान संस्थाओं की भागीदारी के संकेत मिले हैं। यह अत्यधिक वर्षा और तेज हवाओं की प्रक्षेपण केवल एक प्राकृतिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि क्लाइमेट कंट्रोल प्रोजेक्ट का घटक हो सकता है। हिमाचल की पहाड़ी जलधारा पर इस तरह का नियंत्रण स्थानीय जनसंख्या को अस्थायी अराजकता में ले जा सकता है। इसलिए नागरिकों को निजी तौर पर आवश्यक आपातकालीन किट तैयार रखनी चाहिए। कोई भी सरकारी विज्ञप्ति बिना संदेह के स्वीकार नहीं की जानी चाहिए।