हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024: रुझान और संभावनाएं
हरियाणा की राजनीति में एक बार फिर से चुनावी संग्राम छिड़ गया है। इस बार, 90 सीटों पर हो रहे इस चुनाव में 1,031 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। चुनाव की प्रक्रिया 5 अक्टूबर 2024 को पूरी हो गई, और मतगणना के नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। वो 2.03 करोड़ से अधिक मतदाताओं के फैसले पर आधारित होंगे। इनमें 1.07 करोड़ पुरुष और 95.77 लाख महिलाएं शामिल हैं। सभी 20,632 मतदान केंद्रों पर उत्साह और समर्पण के साथ मतदान हुआ।
प्रमुख राजनीतिक दलों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस), आम आदमी पार्टी (आप), इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का चुनावी गठबंधन और जननायक जनता पार्टी (जजपा) का साझेदारी में आज़ाद समाज पार्टी (एएसपी) शामिल है। भाजपा इस चुनाव में तीसरी बार सत्ता में आने की उम्मीद कर रही है जबकि कांग्रेस सत्ता वापस पाने की कोशिश कर रही है जो पिछले दशक से उनके हाथ से फिसल चुकी है।
प्रमुख उम्मीदवारों की चुनौती
इस चुनाव में कुछ विशेष चेहरों का प्रकट होना तय है। मुख्यमंत्री नयाब सिंह सैनी (लादवा) अपनी कुर्सी बचाने में जुटे हैं जबकि विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा (गढ़ी सांपला-किलोई) की आंखें मुख्यमंत्री पद पर हैं। इनेलो के अभय सिंह चौटाला (ऐलनाबाद), जजपा के दुष्यंत चौटाला (उचाना कलां), और भाजपा के अनिल विज (अम्बाला छावनी) ऐसे ही कुछ प्रमुख चेहरे हैं, जिनका असर समय के साथ चुनाव परिणामों पर देखा जा सकेगा।
आम आदमी पार्टी ने इस बार अकेले ही चुनावी मैदान में उतरने का निर्णय लिया है क्योंकि उनकी कांग्रेस के साथ गठबंधन की बातचीत असफल रही। अरविंद केजरीवाल ने यह दावा किया है कि किसी भी सरकार के गठन के लिए आप का समर्थन रास्ता तय कर सकता है।
चुनाव प्रक्रिया के दौरान, चुनाव आयोग ने यह सुनिश्चित किया कि चुनाव-पश्चात सर्वेक्षणों के रुझानों को 5 अक्टूबर की शाम 6:30 बजे तक जारी नहीं किया जाएगा ताकि मतदाता बिना किसी बाहरी प्रभाव के अपना वोट डाल सकें। प्रमुख समाचार चैनल जैसे एनडीटीवी, इंडिया टुडे और रिपब्लिक टीवी ने भी अपने विशेषज्ञों के माध्यम से चुनाव परिणामों पर गहराई से विश्लेषण और अनुमान लगाने की तैयारी कर रखी है।
चुनावी विचारधाराएं और मतदाताओं के विचार
इस बार हरियाणा के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा जा रहा है। भाजपा लगातार राज्यों में एक सरल और स्पष्ट विकासशील विचारधारा को बढ़ावा देती आ रही है, जबकि कांग्रेस अपनी पुरानी नीतियों के साथ बदलाव की एक नई तरंग पैदा करने का प्रयास कर रही है। इसके अलावा, आम आदमी पार्टी का लक्ष्य एक अनोखी छवि को प्रस्तुत करना है जहां वे जनता के मामलों पर अधिक ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं।
हरियाणा में कृषि और शिक्षा जैसी समस्याएं प्रमुख मुद्दों के रूप में उभर कर आई हैं। इससे मतदाताओं के बीच इस बात की समझ बनी कि कौन से दल या गठबंधन उन समस्याओं को हल करने के लिए सबसे सही अनुकूल है। मतदाताओं ने विशेष रूप से युवा पीढ़ी में शिक्षा और रोजगार के अवसरों के महत्व को समझा और इसी अनुसार अपने वोट को निर्धारित किया।
अब सबकी निगाहें 8 अक्टूबर पर टिकी हुई हैं जब ये मालूम हो सकेगा कि कौन सा दल इस बार सत्ता का स्वाद चखेगा। राजनीतिक दलों के बीच की कड़ी चुनावी जंग ने हरियाणा में लोकतंत्र की एक नई छवि प्रस्तुत की है और इससे यह स्पष्ट हुआ है कि आने वाले समय में हरियाणा की राजनीति कैसे आकार ले सकती है।
Suresh Dahal
अक्तूबर 5, 2024 AT 14:15हरियाणा के चुनावों में युवा ऊर्जा का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। विकास के मूलभूत मुद्दों पर फोकस करना चाहिए, जैसे शिक्षा और कृषि। मैं आशावादी हूँ कि पार्टीजन इस बार अधिक पारदर्शिता दिखाएँगे।
Krina Jain
अक्तूबर 5, 2024 AT 15:06भुगतान करने वाले नागरिकों को हमेशा सुनना चाहिए
Raj Kumar
अक्तूबर 5, 2024 AT 17:53हरियाणा की राजनीति अब एक नाटकीय मंच बन गई है जहाँ प्रत्येक उम्मीदवार अपनी भूमिका को थियेटर की तरह निभा रहा है। भाजपा की दावेदारी को देखते हुए उनके समर्थकों ने जलते हुए बैनर लहराते हुए अपनी आशा जाहिर की। वहीं कांग्रेस ने पुरानी रणनीतियों को फिर से जमाने की कोशिश की, लेकिन युवा वोटर उनके संदेश को धुंधला पाते हैं। आप ने मौन बना कर भीड़ में अपनी आवाज़ उठाने की कोशिश की, पर उनका अकेला खड़ा होना भी एक बयान बन गया। इनेलो के अभय सिंह की रैली में धूमधाम थी, फिर भी जमीन पर सच्ची समस्याएँ अनदेखी रह गईं। जजपा के दुष्यंत ने अपने इरेक्टिंग पार्टनरशिप को लेकर नया साजिशी दिखावटी मंच तैयार किया। हर मोड़ पर पार्टीज के गठबंधन की बातें सिहरनें देती हैं, मानो एक जटिल पहेली को सुलझाना हो। मतदाता अब केवल वादे नहीं, बल्कि ठोस नीतियों की माँग कर रहे हैं, खासकर कृषि और शिक्षा के क्षेत्र में। ट्रांसपेरेंसी की कमी के कारण कई लोग संदेह में हैं कि क्या यह चुनाव सच में एक बदलाव लेकर आएगा। भविष्य की दिशा तय करने के लिए हमें न केवल मतदान करना चाहिए, बल्कि परिणामों पर निरंतर नजर रखनी चाहिए। कई विशेषज्ञों ने कहा है कि यदि युवा वर्ग विफल रहता है, तो पुरानी सत्ता का पुनरुत्थान निश्चित है। दूसरी तरफ, डिजिटल मोड़ पर वोटिंग की सुविधा ने ग्रामीण क्षेत्रों में भी उम्मीद की नई लहर लाई है। परंतु तकनीकी त्रुटियों के डर से कुछ नागरिक अभी भी हिचकिचा रहे हैं। इसे देखते हुए चुनाव आयोग ने व्यापक जागरूकता अभियान चलाया, जो सराहनीय है। अंत में, यह कहा जा सकता है कि हरियाणा का राजनीतिक परिदृश्य इस बार एक नई कहानी लिख रहा है। और यह कहानी तभी समाप्त होगी जब सभी आवाज़ें, चाहे वो बड़े नेता हों या आम ग्रामीण, समान रूप से सुनी जाएँ।
venugopal panicker
अक्तूबर 5, 2024 AT 20:40भाई, इस नाटकीय रंगमंच में हर कोई अपनी धूम मचा रहा है, लेकिन असली बात तो जनता की मांगों में है। रंगीन बैनर और तेज़ भाषण तो सब होते हैं, पर जमीन पर काम देखना ज़रूरी है। आशा है कि अगले चरण में नीतियों के वास्तविक रंग उभरेंगे।
Vakil Taufique Qureshi
अक्तूबर 5, 2024 AT 23:26उमीदें बहुत बड़ी हैं, पर अक्सर वास्तविकता कटु होती है। वोट देने के बाद भी कई बार वही पुरानी समस्याएँ बरकरार रहती हैं।