विक्रम मिस्री: एक नई जिम्मेदारी
भारत सरकार ने विक्रम मिस्री को नए विदेश सचिव के रूप में नियुक्त किया है। 1989 बैच के भारतीय विदेश सेवा अधिकारी मिस्री 15 जुलाई से अपना कार्यभार संभालेंगे। वर्तमान में विनय मोहन क्वात्रा, जो मार्च में छह महीने के सेवा विस्तार के बाद विदेश सचिव हैं, को इस पद से रिलीव किया जाएगा। इसका कारण यह भी है कि क्वात्रा अब अमेरिका में भारत के नए राजदूत बनने की दौड़ में शामिल हो चुके हैं।
विक्रम मिस्री का अद्वितीय अनुभव
59 वर्षीय मिस्री का विदेश सेवा में अनुभवी और बहुमुखी यात्रा रही है। उन्होंने तीन प्रधानमंत्रियों - नरेंद्र मोदी, डॉ. मनमोहन सिंह, और इंद्र कुमार गुजराल - के निजी सचिव के रूप में काम किया है। उनका चीनी मामलों में भी गहरा अनुभव है। लद्दाख में मई 2020 में चीन के साथ सैन्य गतिरोध के बाद सरकार और चीनी सरकार के बीच कूटनीतिक बातचीत में मिस्री की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
इसके अलावा, मिस्री ने बीजिंग, स्पेन और म्यांमार में भारत के राजदूत के रूप में भी अपनी सेवाएँ दी हैं। उन्होंने बेल्जियम, पाकिस्तान, अमेरिका, श्रीलंका और जर्मनी में भारतीय मिशनों में विभिन्न पदों पर काम किया है। वर्तमान में, वे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को रिपोर्ट करते हुए उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर कार्यरत हैं।
क्वात्रा की नई संभावनाएं
विनय मोहन क्वात्रा, जो फिलहाल विदेश सचिव हैं, अब अमेरिका में भारत के नए राजदूत बनने की प्रबल संभावना रखते हैं। तजरनजीत संधू की सेवानिवृत्ति के बाद से यह पद जनवरी से खाली है। क्वात्रा का नामांकन इस पद के लिए जोर पकड़ रहा है, और सरकार इस महत्वपूर्ण पद पर एक योग्य उम्मीदवार की तलाश में है।
अन्य प्रमुख नियुक्तियाँ
मिस्री के लोकसेवा में आने से भारत के यूनाइटेड नेशन्स न्यूयॉर्क में स्थायी प्रतिनिधि और अमेरिका में भारतीय राजदूत की नियुक्ति पर भी जोर दिया जा रहा है। प्रशिक्षित और अनुभवी अधिकारियों की ये नियुक्तियाँ भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करने के लिए आवश्यक मानी जा रही हैं।
फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ मिस्री के डिप्टी NSA पद को भर सकते हैं। यह नियुक्तियाँ यह सुनिश्चित करेंगी कि भारत की कूटनीतिक स्थिति मजबूती से बनी रहे और नए सचिवों का अनुभव और विशेषज्ञता का उपयोग किया जा सके।
निष्कर्ष
विक्रम मिस्री की नई भूमिका विदेश मंत्रालय के कामकाज में एक नई दिशा निर्धारित करेगी। उनके विस्तृत अनुभव और विशेषज्ञता से भारत की कूटनीति को लाभ मिलेगा। क्वात्रा और अन्य महत्वपूर्ण नियुक्तियों के साथ, यह देखना दिलचस्प होगा कि कैसे ये अधिकारी अपने-अपने नए पदों पर अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हैं और भारत की वैश्विक स्थिति को और मजबूत करते हैं।
abhay sharma
जून 29, 2024 AT 18:46अरे वाह विदेश सचिव बदलते ही कूटनीति में नया सवेरा होगा
Abhishek Sachdeva
जुलाई 3, 2024 AT 12:46विक्रम मिस्री को नियुक्ति बहुत बड़ी गलती है. उसके पुराने दायरे में ही सीमित रहना चाहिए. नया चेहरा चाहिए जो असली बदलाव लाए. यह नियुक्ति सिर्फ भौराजकी खेल है. भारतीय कूटनीति को अब और बर्बाद नहीं किया जा सकता.
Janki Mistry
जुलाई 9, 2024 AT 07:40विक्रम मिस्री का डाइप्लोमैटिक प्रोफ़ाइल व्यापक है। वहीं उनका ट्रैक रिकॉर्ड रणनीतिक संरेखण में उल्लेखनीय है। बीजिंग में उन्होंने द्विपक्षीय वार्ता के मोड्यूल को परिपक्व किया। स्पेन में उनका एजेंडा आर्थिक गठबंधन पर केंद्रित था। म्यांमार में उन्होंने सॉवरेनिटी रिस्क मैनेजमेंट को सुदृढ़ किया। लद्दाख में सैन्य‑सुरक्षा डायलॉग में उनका योगदान निर्णायक रहा। उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को रिपोर्ट करने के लिए उप‑NSA पद पर भी नियुक्त किया गया। इन भूमिकाओं ने उनके कूटनीतिक नेटवर्क को विस्तारित किया। उनकी विशेषज्ञता में एशिया‑पसिफिक पॉलिसी शैडोइंग शामिल है। इंटर‑कल्चरल डिप्लोमेसी में उनके पास प्रैक्टिकल फ्रेमवर्क है। वर्तमान में वे रणनीतिक स्थिरता मॉड्यूल की देखरेख करते हैं। उनके हाथ में मल्टी‑लेटरल एग्रीमेंट्स की ड्राफ्टिंग भी है। इस प्रोफ़ाइल के साथ वे बहुपक्षीय मंचों में प्रभावशाली भूमिका निभा सकते हैं। इन गुणों से भारत की कूटनीति में वैल्यू ऐड अपेक्षित है। संक्षेप में उनका नियुक्ति विदेश मंत्रालय के ऑपरेशनल एलाइनमेंट को सशक्त करेगा।
Akshay Vats
जुलाई 15, 2024 AT 02:33इहां तो कूद क़दमी दिसी लगता है , सभ्यता क़ा दाम्पत बात या राजनैतिक इमानदारी नहीं दिखती
Anusree Nair
जुलाई 20, 2024 AT 21:26विक्रम मिस्री के अनुभव से भारत की विदेश नीति को नई दिशा मिल सकती है
Bhavna Joshi
जुलाई 26, 2024 AT 16:20राजनीतिक दर्शन में कूटनीति एक जटिल प्रणाली है। मिस्री का व्यापक पृष्ठभूमि इस प्रणाली के पारस्परिक प्रभाव को समझने में मदद करती है। उनका दृष्टिकोण मल्टी‑लेटरलिज़्म और राष्ट्रीय हितों के संतुलन को प्रतिबिंबित करता है। यह संतुलन रणनीतिक आत्मविश्वास को सुदृढ़ करता है। इसलिए उनका योगदान केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि विचारात्मक भी है।
Ashwini Belliganoor
अगस्त 1, 2024 AT 11:13नए नियुक्तियों की गति बहुत धीमी है