सोनम वांगचुक – शिक्षा, नवाचार और सतत विकास
जब हम सोनम वांगचुक, एक भारतीय अभियंता, शिक्षाविद् और पर्यावरण कार्यकर्ता, जो हिमालयी क्षेत्रों में सतत विकास मॉडल बनाते हैं. उन्हें अक्सर लेह के सॉल्यूशन इंजीनियर कहा जाता है, उनके काम में हिमालयी शिक्षा और स्थायी विकास का गहरा संबंध है।
सोनम वांगचुक ने हिमाचल प्रदेश के लह में पहली बार कंट्री‑स्कूल मॉडल शुरू किया, जहाँ छात्र अपनी स्थानीय संस्कृति में जमे रहते हुए विश्व स्तर की शिक्षा प्राप्त करते हैं। इस पहल ने सिद्ध किया कि "स्थायी विकास" केवल पर्यावरणीय पहल नहीं, बल्कि सामाजिक और शैक्षिक सुधार भी है। यहाँ स्कूलों की इमारतें सौर ऊर्जा, बरसात के पानी का संग्रह और स्थानीय सामग्री से बनी होती हैं, जिससे लागत कम और प्रभावशीलता बढ़ती है। इस तरह से "हिमालयी शिक्षा" का मतलब अब सिर्फ कक्षा नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू में सतत सोच को बढ़ावा देना है।
डिज़ाइन थिंकिंग और सामाजिक नवाचार
वांगचुक का दूसरा बड़ा हथियार है डिज़ाइन थिंकिंग। उन्होंने इसे ग्रामीण समस्याओं के समाधान में लागू किया – जैसे कि जलस्रोत का प्रबंधन, बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएँ और स्थानीय व्यवसायों का विकास। उनका मानना है कि "डिज़ाइन थिंकिंग" का प्रयोग करके हम जटिल समस्याओं को छोटे‑छोटे प्रयोगों में बदल सकते हैं, और फिर उन प्रयोगों के परिणाम को बड़े स्तर पर लागू कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में अध्याय‑पाठ्यक्रम, कारीगरों की भागीदारी और सरकारी नीतियों का समन्वय जरूरी है, और यही वांगचुक ने अपने कई प्रोजेक्ट्स में दिखाया है।
सोनम वांगचुक की सफलता का एक और कारण है IIT लेह (इंडियन इन्स्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी लेह) के साथ उनका सहयोग। IIT लेह ने तकनीकी समर्थन, शोध संसाधन और छात्र सशक्तिकरण कार्यक्रम दिए, जिससे वांगचुक के मॉडल को स्केल‑अप किया जा सका। इस साझेदारी ने साबित किया कि "उच्च शिक्षा संस्थान" केवल सैद्धांतिक ज्ञान नहीं देते, बल्कि वास्तविक सामाजिक परिवर्तन में भी मदद करते हैं। जब तकनीक और स्थानीय ज्ञान मिलते हैं, तो नवाचार का दायरा बहुत आगे तक बढ़ जाता है।
आज सोनम वांगचुक के काम को भारत के कई हिस्सों में दोहराया जा रहा है – चाहे वह अरुणाचल प्रदेश के दूरस्थ गांव हों या उत्तराखण्ड के पहाड़ी इलाक़े। उनका मूल सिद्धांत आसान है: शिक्षा को स्थानीय संदर्भ में ढालें, संसाधनों को पुनर्चक्रित करें और हर कदम पर समुदाय को शामिल करें। इस तरह के मॉडल ने न केवल छात्र के सीखने के तरीके बदल दिए, बल्कि छोटे‑बड़े उद्यमियों, किसान और महिला समूहों को भी आर्थिक रूप से सशक्त किया है। उनका प्रभाव अब सिर्फ स्कूलों तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे सामाजिक इकोसिस्टम को नया स्वर दिया गया है।
नीचे आप को सोनम वांगचुक से जुड़ी विभिन्न ख़बरें, उनके नवीन प्रोजेक्ट्स और उनका भविष्य‑दृष्टि वाला कार्य दिखेगा। इन लेखों के ज़रिये आप समझ पाएँगे कि कैसे एक व्यक्ति की सोच पूरे क्षेत्र में परिवर्तन ला सकती है और आप खुद भी अपनी जगह पर छोटे‑छोटे बदलाव शुरू कर सकते हैं। पढ़ते रहें, सीखते रहें और प्रेरणा को अपने आसपास के लोगों तक पहुँचाएँ।