परिचय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल की शपथ ग्रहण से पूर्व दिल्ली में वरिष्ठ भाजपा नेताओं एलके आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से मुलाकात की। यह मुलाकात एनडीए संसदीय दल की बैठक के बाद हुई, जहां मोदी को भाजपा और एनडीए का नेता चुना गया। इन मुलाकातों का उद्देश्य अपने वरिष्ठ नेताओं से समर्थन प्राप्त करना और पार्टी की एकजुटता को मजबूत करना था।
 
संवाद और समर्थन
प्रधानमंत्री मोदी ने इन मुलाकातों के दौरान कहा कि हर भाजपा कार्यकर्ता आडवाणी के प्रयासों से प्रेरित है जिन्होंने पार्टी को मजबूत बनाने के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया। मोदी ने मुरली मनोहर जोशी के ज्ञान और दृष्टि से भी बहुत कुछ सीखा है। इन बहुत ही महत्वपूर्ण मुलाकातों के पश्चात, प्रधानमंत्री ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मार्गदर्शन प्राप्त किया।
एनडीए संसदीय दल की बैठक
इस महत्वपूर्ण बैठक में एनडीए के वरिष्ठ सदस्य और सहयोगी दलों के नेता भी शामिल थे। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेदेपा (TDP) प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू ने भी मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए सरकार को अपना समर्थन दिया। इस बैठक में सभी ने समर्थन देने का वचन देते हुए एक दृष्ठि बनाई कि आने वाले समय में विकास की दिशा में कदम बढ़ाए जाएंगे।
तीसरे कार्यकाल की तैयारी
एनडीए के पास 543 सदस्यीय लोकसभा में 293 सांसद हैं, जो कि आवश्यक बहुमत 272 से काफी अधिक है। इसके चलते प्रधानमंत्री मोदी का तीसरे कार्यकाल का शपथ ग्रहण समारोह सप्ताहांत में होने की उम्मीद है। अमित शाह, राजनाथ सिंह, और जे पी नड्डा जैसे वरिष्ठ भाजपा नेता अपने सहयोगियों के साथ मिल कर नई सरकार के प्रतिनिधित्व में सहयोगी दलों की हिस्सेदारी को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं।
 
चुनौतियाँ और अवसर
प्रधानमंत्री मोदी के इस तीसरे कार्यकाल में कई चुनौतियाँ और अवसर सामने होंगे। भारत के सामने आर्थिक विकास, रोजगार सृजन, और सामाजिक विकास के प्रमुख मुद्दे हैं। इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की स्थिति को मजबूत करना और पड़ोसी देशों के साथ सामरिक संबंधों को भी सुदृढ़ करना बहुत आवश्यक होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा ही अपने अनुभवों और वरिष्ठ नेताओं के सुझावों को महत्व दिया है, और यह मुलाकातें उसी का एक हिस्सा हैं।
इस तरह की मुलाकातें यह संकेत देती हैं कि पार्टी भविष्य की रणनीतियों और कार्यों को लेकर पूरी तरह गंभीर है। वरिष्ठ नेताओं के अनुभव और सुझाव पीएम मोदी के मार्गदर्शन में आने वाले वर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे।
 
भविष्य के लक्ष्यों की ओर
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने वरिष्ठ नेताओं के साथ इस तरह की मुलाकातें कर यह भी सुनिश्चित किया है कि पार्टी एकजुट है और सामूहिक रूप से आगे बढ़ने के लिए तैयार है। आने वाले समय में, उनके नेतृत्व में भाजपा और एनडीए सरकार को कई नई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा लेकिन यह सांस्कृतिक रूप से मजबूत और लोकहितकारी नीतियों के माध्यम से उन्हें पार करने का संभव प्रयास करेंगे।
समाप्ति
 
                                                                         
                                            
                                             
                                            
                                             
                                            
                                             
                                            
                                             
                                            
                                            
Vakil Taufique Qureshi
जून 7, 2024 AT 19:46शपथ ग्रहण से पहले वरिष्ठ नेताओं के साथ हुई मुलाकातें मात्र शोभा नहीं, बल्कि सत्ता की स्थिरता के लिये रणनीतिक कदम हैं। इस तरह के समन्वय से पार्टी के भीतर एकजुटता का आभास होता है, परन्तु वास्तविक नीति निर्धारण में उनका प्रभाव सीमित रहता है। आगे देखना पड़ेगा कि यह एकजुटता कार्यकाल में कैसे प्रतिबिंबित होती है।
Jaykumar Prajapati
जून 16, 2024 AT 22:10वास्तव में इस मुलाकात के पीछे छिपी बड़ी साजिश है-किसी ने कहा कि यह सभी को भ्रमित करने के लिए तैयार किया गया था। एलके आडवाणी और जोशी के साथ निजी बैठकों को बड़े सार्वजनिक प्रदर्शन के रूप में पेश किया जा रहा है, जो कि जनता को झाँसने की रणनीति है। यह केवल पार्टी की आंतरिक शक्ति संरचना को सुदृढ़ करने के लिये नहीं, बल्कि विदेशी एजेंसियों को भ्रमित करने के लिये भी हो सकता है। अंत में, यह देखना बाकी है कि सरकार इन मुलाकातों को अपने विकास एजेंडा में कैसे उपयोग करती है।
PANKAJ KUMAR
जून 26, 2024 AT 00:34साथियों के साथ मिलकर काम करना हमेशा बेहतर परिणाम देता है, इसलिए वरिष्ठ नेताओं की सलाह को सुनना एक सकारात्मक कदम है। उनके अनुभव और मार्गदर्शन से नई योजनाएँ और भी ठोस हो सकती हैं। इस सहयोग से हमें न केवल पार्टी के भीतर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी एकजुटता का संदेश मिलता है।
Anshul Jha
जुलाई 5, 2024 AT 02:58देश की ताकत को दिखाने के लिए यह जरूरी है कि सभी वरिष्ठ नेता एक साथ हों और विरोधियों को चकित करें यह मुलाकात हमारे राष्ट्र की जीत की दिशा में एक कदम है
Anurag Sadhya
जुलाई 14, 2024 AT 05:22यह मुलाकात हमें एक दूसरे के विचारों को समझने का अवसर देती है 😊 वरिष्ठ नेताओं के अनुभव से सीखना हमारे युवा वर्ग के लिये प्रेरणा होगा 🙏
Sreeramana Aithal
जुलाई 23, 2024 AT 07:46भारी रंग-बिरंगी भाषा में कहूँ तो इस तरह की मुलाकातें अक्सर राजनीतिक रंगमंच की चमक-धमक को बढ़ावा देती हैं, लेकिन वास्तविकता में जनता की ज़रूरतें ही सबसे बड़ी कहावत बनती हैं। नैतिकता के नाम पर यदि हम सत्ता को ही सजा देते हैं तो हमारे लोकतंत्र का भविष्य धुंधला हो जाता है। यहाँ पर मैं कहूँगा कि प्रत्येक वरिष्ठ नेता को अपने सिद्धांतों से नहीं हटना चाहिए, चाहे वह कितनी भी राजनैतिक गठबंधन की जरूरत क्यों न हो। इस तरह की रणनीतिक चालें अक्सर तबाही का कारण बनती हैं, क्योंकि वे धरती पर मौजूद वास्तविक समस्याओं को दरकिनार करती हैं। अंत में, हमें याद रखना चाहिए कि राजनीति में सच्ची ताकत जनता की आवाज़ में निहित है।
Anshul Singhal
अगस्त 1, 2024 AT 10:10पहले तो यह समझना महत्वपूर्ण है कि वरिष्ठ नेताओं के साथ हुई मुलाकात केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा निर्धारित करने वाला एक चिन्ह है। मोदी जी ने पिछले कार्यकाल में कई बड़े फैसले लिये थे और अब यह मुलाकात नई ऊर्जा और दृष्टिकोण लेकर आ सकती है। एलके आडवाणी का राजनैतिक इतिहास और मुरली मनोहर जोशी की रणनीतिक सोच एक साथ मिलकर नीति निर्माण को समृद्ध बना सकते हैं। यह संगम विभिन्न क्षेत्रों में संतुलन स्थापित करने में मदद करेगा, चाहे वह अर्थव्यवस्था हो या विदेशी नीति। वरिष्ठ नेताओं का समर्थन अक्सर जनता के विश्वास को बढ़ाता है, क्योंकि यह दर्शाता है कि पार्टी में अनुभव का सम्मान है। विकास के लिये निरंतर संवाद की आवश्यकता होती है, और इस मुलाकात ने इस आवश्यकता को पूरा किया है। इसके अलावा, एनडीए की संख्यात्मक मजबूती भी इस प्रकार की बैठकों से और सुदृढ़ हो सकती है। नई चुनौतियों का सामना करने के लिये विभिन्न विचारों का मिलन आवश्यक है, और यही इस मुलाकात का मूल उद्देश्य है। एकजुटता का प्रतिपादन सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि कार्यों में दिखना चाहिए, और यह मुलाकात उस दिशा में एक कदम है। यदि हम इस अवसर को सही तरह से उपयोग करें तो रोजगार सृजन और सामाजिक विकास की राह में तेज़ी आ सकती है। आयात-निर्यात नीति में सुधार, डिजिटल बुनियादी ढाँचा और स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिये वरिष्ठ नेताओं के अनुभव बहुत काम आएँगे। इसके साथ ही, अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की स्थिति को मजबूत करने के लिये सामरिक गठजोड़ों का पुनरावलोकन आवश्यक है, और यह मुलाकात उसी दिशा में एक संकेत है। इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही भी आवश्यक है, ताकि जनता को भरोसा बना रहे। सभी को मिलकर काम करने की भावना बनाकर ही हम एक ठोस और समावेशी विकास मॉडल तैयार कर सकते हैं। अंत में, यह कहा जा सकता है कि इस प्रकार की मुलाकातें न केवल पार्टी को बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करती हैं।
DEBAJIT ADHIKARY
अगस्त 10, 2024 AT 12:34सरकार द्वारा वरिष्ठ नेताओं के साथ की गई इस मुलाकात का महत्व ऐतिहासिक रूप से देखा गया है; यह नीति निर्धारण में सहयोगात्मक दृष्टिकोण को सुदृढ़ करती है। यह कदम राष्ट्रीय एकता और विकास की दिशा में सकारात्मक संकेत प्रस्तुत करता है।
abhay sharma
अगस्त 19, 2024 AT 14:58वाह, फिर से वही पुरानी राजनीति का नाटक शुरू।
Abhishek Sachdeva
अगस्त 28, 2024 AT 17:22उपर्युक्त नाटक केवल दिखावे के लिए है, वास्तविक कार्यक्षमता का अभाव स्पष्ट है। यदि सरकार इस शैली में ही आगे बढ़ेगी, तो विकास की गति धीमी पड़ेगी। समग्र रूप से, हमें ठोस नीतियों की ज़रूरत है, न कि सिर्फ़ शब्दों के जाल की।
Janki Mistry
सितंबर 6, 2024 AT 19:46सिनर्जिक लीडरशिप मॉडल का कार्यान्वयन रणनीतिक एलाइनमेंट को बढ़ावा देता है।