जब लक्ष्य राजपूत ने सुबह के साढ़े सात बजे मुजफ्फरनगर के देवल गंगनहर पुल के पास अपनी कार में तंगली पकड़ी, तो वह नहीं जानता था कि वही क्षण उनके परिवार की ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल देगा। कार में उनका छोटा भाई, एक मित्र और उनका ससुराल का सदस्य सवार थे; अचानक ड्राइवर को नींद की झपकी आ गई और कार रेलिंग से टकरा कर आगे बढ़ते हुए एक 14 टायरा ट्रक से टकरा गई। परिणामस्वरूप तीन लोगों की मौत और एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया।

घटना का विवरण और समय‑स्थान

साक्षी बताते हैं कि कार पहले पुल की धातु की रेलिंग से टकराई, जिससे वाहन पूरी तरह उलट गया। वहीँ सड़कों के किनारे रह रहे ट्रक चालक ने भी रोकने का कोई मौका नहीं पाया। पुलिस ने बताया कि टक्कर 07:30 घंटे के आसपास हुई, जब ट्रैफ़िक अभी भी हल्का था। बिजनौर के इंद्रलोक कॉलोनी के इस परिवार ने दो घंटे पहले दिल्ली में नौकरी के बाद वापस जाने का फैसला किया था।

पीड़ितों की पहचान और वर्तमान स्थिति

परिवार के सदस्य अधिकतर युवा थे। लक्ष्य राजपूत, 28 वर्ष, कार चला रहा था और उसी क्षण उसका निधन हो गया। उसकी मित्र प्रियंका और रिया (मयंक की पत्नी) भी गंभीर रूप से घायल थीं, परंतु अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सकों ने दोनो को मृत घोषित कर दिया। मयंक राजपूत — जो अभी भी जीवित हैं — को बुरी तरह चोटें आईं; उन्हें तुरंत बिजनौर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया और उनकी हालत "गंभीर लेकिन स्थिर" बताई गई।

परिवार का बयान और स्थानीय प्रतिक्रिया

पीड़ितों के पिता, शिवकुमार, ने विद्रोह भरे स्वर में कहा, "हमारी एक ही सुबह में तीन सदस्य खो दिए। लक्ष्य और प्रियंका दोनों दिल्ली में नौकरी कर रहे थे, अब उनका घर खाली है।" स्थानीय लोग हादसे के बाद जनसमूह बना, कुछ ने मदद की और पुलिस को एम्बुलेन्स तक पहुँचाने में सहयोग किया। कई सिविल सोसाइटी समूह ने इस दुर्घटना को सड़क सुरक्षा के अभाव का प्रमाण कहा।

पुलिस की जांच और कानूनी कदम

उपर्युक्त दुर्घटना बिजनौर पुलिस ने बड़े पर्दे पर लाया। प्राथमिक रिपोर्ट में बताया गया कि ड्राइवर को नींद आना मुख्य कारण था, परंतु आगे की जांच में वाहन की ब्रेकरों की स्थिति, सड़क की प्रकाश व्यवस्था और ट्रक के गति सीमा की भी समीक्षा की जाएगी। पुलिस ने तीन शहीदों के शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेजे हैं और टक्कर में शामिल वाहन को हाईवे से हटा कर ट्रैफ़िक को सामान्य किया गया। अब मामलों की सुनवाई के लिए कोर्ट में मुकदमा दर्ज हो चुका है।

सड़क सुरक्षा की व्यापक दृष्टि

दिल्ली‑पौड़ी हाईवे पर पिछले साल 1,200 से अधिक दुर्घटनाएँ दर्ज हुईं, जिनमें 250 से अधिक मौतें हुईँ। राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद (NHAI) ने कहा है कि ड्राइवर थकान, लम्बी दूरी और अपर्याप्त विश्राम स्थल प्रमुख कारण हैं। इस घटना में भी 'नींद की झपकी' का उल्लेख मुख्य कारण के रूप में सामने आया। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि हाईवे पर सस्पेंडेड बेड, रेस्ट एरिया और इंस्ट्रुमेंट क्लस्टर को बेहतर बनाना चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या इस दुर्घटना का मुख्य कारण ड्राइवर की नींद थी?

प्राथमिक पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, लक्ष्य राजपूत को सोने की बहुत जल्दी जाग्रता हुई, जिससे कार नियंत्रण से बाहर हो गई। हालांकि, अंतिम कारण निर्धारित करने के लिए जेवर जांच और वाहन की तकनीकी स्थिति की भी जांच चल रही है।

क्या इस मार्ग पर पहले भी समान दुर्घटनाएँ हुई हैं?

हाँ, दिल्ली‑पौड़ी हाईवे पर पिछले दो वर्षों में कुल 78 टक्करें हुई हैं, जिसमें 12 मामलों में ड्राइवर थकान को कारण बताया गया था। स्थानीय交通 विभाग ने इस रूट पर विश्राम स्थल स्थापित करने की योजना बनाई है।

मयंक राजपूत की वर्तमान स्थिति क्या है?

मयंक राजपूत को तुरंत बिजनौर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने बताया कि उसकी चोटें गंभीर हैं, लेकिन जीवन के लिए खतरा अभी स्थिर है और वह अगले कुछ दिनों में पुनर्वास केंद्र में स्थानांतरित हो सकते हैं।

पुलिस ने इस घटना में कौन-कौन से कानूनी कदम उठाए हैं?

बिजनौर पुलिस ने दुर्घटना स्थल से जुड़ी सभी वीडियो साक्ष्य सुरक्षित कर लिए हैं, तीन मृतकों के शरीर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजे गए हैं और मामले में मुकदमा दर्ज कर दी गई है। ट्रक चालक और वाहन मालिक के विरुद्ध भी कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

विशेषज्ञों का मानना है कि हाईवे पर नियमित विश्राम पोस्ट, ड्राइवर के लिए अलर्ट सिस्टम, और ट्रैफ़िक सेंसर्स स्थापित करने से थकान‑जनित दुर्घटनाओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है। साथ ही, सार्वजनिक जागरूकता अभियानों की भी जरूरत है।