मालदीव के विदेश मंत्री मूसा ज़मीर की हाल ही में नई दिल्ली यात्रा ने दोनों देशों के संबंधों में एक महत्वपूर्ण विकास को चिह्नित किया है। यह सितंबर 2023 में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के कार्यभार संभालने के बाद पहली उच्च-स्तरीय यात्रा थी, जिन्होंने चुनाव प्रतिज्ञा के तहत भारतीय सैन्य कर्मियों को देश छोड़ने के लिए सुनिश्चित करने का वादा किया था।
यह यात्रा श्री मुइज्जू के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) द्वारा देश के आम चुनावों में भारी जीत हासिल करने के बाद हुई थी। दोनों देशों ने 'इंडिया आउट' अभियान और मालदीव के पर्यटन को हतोत्साहित करने वाली भारतीय सोशल मीडिया पर विवादास्पद टिप्पणियों पर महत्वपूर्ण तनाव के बावजूद एक साथ काम करने की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए एक समझौता संकेत दिया।
दोनों पक्षों के बयानों ने उनके संबंधों में पारस्परिक हितों और पारस्परिक संवेदनशीलता के महत्व पर जोर दिया। मालदीव की सेना ने भी स्वीकार किया है कि उसके पास भारत द्वारा दान किए गए तीन विमानों को संचालित करने में सक्षम पायलट की कमी है, जो राजनीतिक और रणनीतिक लाभों पर व्यावहारिकता और दीर्घकालिक पारस्परिक हितों की ओर एक बदलाव का संकेत देता है।
रॉ की भूमिका पर प्रकाश
लेख में भारत की बाहरी खुफिया एजेंसी रॉ पर भी प्रकाश डाला गया है, जो दुनिया भर में भारतीय मूल के खालिस्तानी अलगाववादी कार्यकर्ताओं की कथित लक्ष्यीकरण और हत्या के कारण सुर्खियों में रही है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि राजनीतिक हित काम कर रहे हैं और भारत को एक खालिस्तानी अलगाववादी की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों के संबंध में कनाडा से कोई आधिकारिक संचार प्राप्त नहीं हुआ है।
आगे की राह
भारत और मालदीव के बीच संबंधों में हाल के वर्षों में उतार-चढ़ाव देखा गया है। हालांकि, दोनों देशों ने पारस्परिक हितों और संवेदनशीलता के महत्व को स्वीकार किया है। भारत को अपने पड़ोसी देश के साथ संबंधों को मजबूत करने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
दूसरी ओर, मालदीव को भी भारत के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता देने और राजनीतिक मतभेदों को दूर करने की आवश्यकता है। दोनों देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना दोनों के हित में होगा।
निष्कर्ष
भारत और मालदीव के बीच हालिया यात्रा से संबंधों में सुधार के संकेत मिलते हैं। भले ही दोनों देशों के बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद हों, लेकिन उन्हें एक-दूसरे के हितों का सम्मान करते हुए आपसी सहयोग बढ़ाने की जरूरत है।
लंबी अवधि में, भारत और मालदीव के बीच मजबूत संबंध न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि पूरे हिंद महासागर क्षेत्र के लिए भी फायदेमंद साबित होंगे। उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले समय में दोनों पक्ष एक-दूसरे के साथ सकारात्मक और रचनात्मक तरीके से जुड़ेंगे।